हिरोशिमा | Heroshima

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Heroshima by जान हरसी - Jan Harasi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[१३ याद গলা कि पिछले कई सप्ताहों से वे रात को जरा-सी चेतावनी मिलते पर भी सुरक्षित स्थानों को जाती रहीं । पर वे सब व्यर्थ हुए और एक बार भी आक्रमण नहीं हा । आखिर रेडियो को चेतावनी के बाद भी उन्होंने घर में ही रहने का निश्चय किया, इस समय उनमें दोबारा ईस्ट परेड प्राउड जाने की शक्ति न थो। उन्होने वच्वौ को विस्तरों पर्‌ लिटा दिया झौर জুল মী নীল बजे के करीब लेह गईं । लेहने के बाद तुरन्त ही उनको इसनो गहरी नीह श्रा गई कि जब कुछ देर बाद विमान शहूर पर से भुजरे, तव भी उनकी नींद नहीं टूटी । सवेरे धात बे के करीब वे भोंपू की श्रावाज से আগ गई । उठसे हो उन्होंने कपड़े पहने और पड़ोसी संघ के प्रधात थी नकामोटों के पास यहू पूछने गई कि उन्हें क्या करता बाहिये। उन्होंने सलाह दी कि जब तक भोंप कोई गम्भीर सूचना ন दे, श्र्थात्‌ रुक-रंक कर बजे, तब तक उर्च घर में ना चाहिये। घर लोटकर उन्होंने ब्टोबव चलाया और चावल चंढ़ा दिये । फिर वे सुबह का अखबार पढ़ने लगों । श्रांठ बचने के करीब भोंपू ने “सब ठोक” की सूचना दी । भोंपू की सुचना से उन्‍होंने कुछ शान्ति-सी महसूस को । इस समय तक बच्चों ` के कुनभुवाने की झ्रावाज भी झाने लगी थी । शत को चलने. के कारण वे बहुत थक गये थे, पर इस समय उन्हें भूख लग आई था | उन्होंने उन्हें मिठाई दी. और प्रप बिस्तर पे `:




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