चोंच महाकाव्य | Chonch Mahakavya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
102
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रोफेसर चाँख धू
दंशेनों के लिएं जी तड़प रहा था । इतने इन्तज्ञारं की बाद
हलर का दीदार नसीब हो ही: गया । आप नौजवान आदमी.
थे--खबसूरत भी थे, ज़ास कर नांक तो बढ़ कर ज्ञागलोल हो
गयी थी। आप को आँखें मश्काने की विद्या भी ख़ब याद थी ।
हम लोगों ने तो यही समझा कि आप किसी थिएटर से
निकल कर श्रां र्दे) | | ।
धे श्राप वी ५०1 ` श्रापकौ 1520110 6:00519006 এ
था ! आपने कोई छुः-सात महीने प्यक [0 एध्,
8७00० में पढ़ाया था । दम लोगों के पढ़ाने दो लिए यह.
83190719506 জাতী জী ज्यादा था । फिर. कया था, आपके
हसते बढ़ गए, आपने हम लोगो के नसीव को भी जगाने का
पूरा पक्का इरादा कर लिया। |
अपने [67৫9৩ জী শ্রন্থ জার थाद् दिलाने की जरूश्त तो
है ही नहीं कि थार लोग मियाँ “नके मी क्िवक्तेगाषह
हैं। बन्दों की सूद ही तो ठहरी--दूंर तक पहुँची । रात का.
অন্ত था, खब क्षोग मिस्टर सिनहा के कमरे में इकई हुए | सझ
मामला ते कर रखा । । `
सवेश होते दी हम सव लोग साहव হী 5718 2০০]
भै ज्ञा पहुंचे । साहब श्रमी तसे-ताज्ञाश्राप्थे, सो चटथपड
बाहर निकल श्राप्ट 1 उनके आते ही सबने दहने हाथ से चौ
भला .कर उसे हिलाते স্থ না 01070) 97 |: . ह
, राव ने अपनी टोपी उत्तार सी। पर दम्म लोग चौच. `
नाष ई হু | शाखिर साहब होतें इ 1: 1 पणत् के |.
श्राप हमारे 860. एर्लव्ल सै पड दही প্রত ।
` प्रप्र 3.05 ধু 0077 10200
क, अपा --06ा शा वाल... *
User Reviews
No Reviews | Add Yours...