केन | Ken

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Ken by दुलारेलाल - Dularelal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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উন १३. धीरज ने कहा-- “चले जाओी। में धर में कह दंगा । हरिदास स्नान फरफे चक्ता णया । भीरज सी ढ़ेयाँ तय करके ऊपर पहुँचा । नदी-तट पर बेदी हुईं बालिफा ने एक बार कंधे पर से कॉककर पीछे देखा; पर यह लक्ष्य करके कि युवक ने उसे देख लिया ই, वट तुरंत मस्तक नत करके कली मॉजने लगी | सूप क्षितिज से बहुत उपर च आया भा । कसषी मॉजकर ओर मुंह धोकर बालिका अपने छोटे अतीजे के लिये तट पर के रंगीन ओर श्वेत प्रध्तर-खंड़ बीन 1 बेड गई। इसी समय एक अश्यारोही सेनिक अपने अश्व को पानी पिलाने के उद्देश्य से राजपथ से नीचे सतरफर नदी के किनारे-किनारे चलने सगा। খাজে उसे देखकर सीढ़ी पर ही ठिठक गया था। सैनिक धोड़े को णेकर नदी में उतरा | धीरज आगे बढ़कर वहाँ खड़ा हो गया, जहाँ से घढ़ उतरा था, और एक- एक होकर उसे घूरने लगा । सेनि ने घोडे को पानी पिलाया । | तदुपरांत वह अपने से थोड़ी दूर पर बेटी बालिका के निकट पहुँच- कर बोला-- तुम इसी गाँव में रहती हो 1! बालिका ने मध्तक ऊपर उदाकर कंहा--- हाँ |”




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