जनपद जालौन में व्यवहत बोली की व्याकरणिक कोटियों का विश्लेषणात्मक अध्ययन | Janpad Jalaun Mein Vyavahat Boli Ki Vyakarnik Kotiyon Ka Vishleshanatmak Adhyyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(4) बंधौली, जमरोही तथा ददरी आदि गाँव बसे हुए है। यह नहर सिंचाई की दृष्टि से अधिक उपयोगी है। इस नहर की दो शाखायें हैं- प्रथम कुटौद शाखा, दितीय हमीरपुर शाखा । इन दोनों शाखाओं की लम्बाई 1500 किमी0 हे । स. पहूज - यह नदी मध्य प्रदेश से आकर झाँसी जिले में प्रवाहित होती हुई जनपद के विलौँड ग्राम के समीप यमुना नदी में समाहित हो जाती है। इस नदी कं किनारे भी ऊबड़-खाबड़ हें । मुख्य रूप से इस नदी के किनारे पर बसे हुए सलैया, महशपुरा, नदीर्गोव, गोपालपुरा तथा ऊँचा आदि गौँवदहें। जगम्मनपुर से 4 किमी0 पश्चिम में ग्राम कंजौसा में पाँच नदियों (यमुना, चम्बल, क्वांरी, सिन्ध व पहूज) का संगम हुआ है। यह स्थान “पचनदा” कहलाता है| पौराणिक दृष्टिसे इस घाट पर स्नान-दान की परम्परा पुण्यप्रद मानी जाती है। यहाँ... पर पाँचों नदियों की धाराओं को मकर संक्रान्ति के दिन सूक्ष्मता से देखा जा सकता प है | पचनदे के समीप सेंगर क्षत्रियो কী শী ই|1 मिट्टी - यहाँ पर काबर (हल्के रंग की काली मिटटी), मार, पड्वा तथा रांकड़ किस्म ` की मिटटी पाई जाती है। नदियों के किनारे अधिकांश ककरीली रांकड मिटटी होती ६ है। यह पूर्णतः अनुपजाऊ तथा कड़ी होती है । कही-कहीं कंकड़ इकट्ठा कर चूना बना लिया जाता है। मार मिट्टी कारंग काला होता है। यह चिकनी हौती है। विकनाहट के | कारण इस मिट्टी में नमी अधिक दिनों तक संचित रहती है, इस मिट्टी में गेहूं की | जालौन जिले का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन, ड०0 राजू विश्वकर्मा, जीवाजी | विश्वविद्यालय, ग्वालियर की पी-एचण्डी0 उपाधि हेतु स्वीकृत अप्रकाशित शोध ;




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