जनपद जालौन में व्यवहत बोली की व्याकरणिक कोटियों का विश्लेषणात्मक अध्ययन | Janpad Jalaun Mein Vyavahat Boli Ki Vyakarnik Kotiyon Ka Vishleshanatmak Adhyyan
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
52 MB
कुल पष्ठ :
250
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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बंधौली, जमरोही तथा ददरी आदि गाँव बसे हुए है। यह नहर सिंचाई की दृष्टि से
अधिक उपयोगी है। इस नहर की दो शाखायें हैं- प्रथम कुटौद शाखा, दितीय
हमीरपुर शाखा । इन दोनों शाखाओं की लम्बाई 1500 किमी0 हे ।
स. पहूज -
यह नदी मध्य प्रदेश से आकर झाँसी जिले में प्रवाहित होती हुई जनपद के
विलौँड ग्राम के समीप यमुना नदी में समाहित हो जाती है। इस नदी कं किनारे भी
ऊबड़-खाबड़ हें । मुख्य रूप से इस नदी के किनारे पर बसे हुए सलैया, महशपुरा,
नदीर्गोव, गोपालपुरा तथा ऊँचा आदि गौँवदहें।
जगम्मनपुर से 4 किमी0 पश्चिम में ग्राम कंजौसा में पाँच नदियों (यमुना,
चम्बल, क्वांरी, सिन्ध व पहूज) का संगम हुआ है। यह स्थान “पचनदा” कहलाता है|
पौराणिक दृष्टिसे इस घाट पर स्नान-दान की परम्परा पुण्यप्रद मानी जाती है। यहाँ...
पर पाँचों नदियों की धाराओं को मकर संक्रान्ति के दिन सूक्ष्मता से देखा जा सकता प
है | पचनदे के समीप सेंगर क्षत्रियो কী শী ই|1
मिट्टी -
यहाँ पर काबर (हल्के रंग की काली मिटटी), मार, पड्वा तथा रांकड़ किस्म `
की मिटटी पाई जाती है। नदियों के किनारे अधिकांश ककरीली रांकड मिटटी होती ६
है। यह पूर्णतः अनुपजाऊ तथा कड़ी होती है । कही-कहीं कंकड़ इकट्ठा कर चूना बना
लिया जाता है।
मार मिट्टी कारंग काला होता है। यह चिकनी हौती है। विकनाहट के |
कारण इस मिट्टी में नमी अधिक दिनों तक संचित रहती है, इस मिट्टी में गेहूं की |
जालौन जिले का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन, ड०0 राजू विश्वकर्मा, जीवाजी |
विश्वविद्यालय, ग्वालियर की पी-एचण्डी0 उपाधि हेतु स्वीकृत अप्रकाशित शोध ;
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