सागर संभाग के जवाहर नवोदय विद्यालयो एवं शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों की शैक्षिक उपलब्धि का पारिवारिक,सामाजिक,आर्थिक, परिप्रेक्ष्य में तुलनात्मक अध्ययन | Sagar Sambhag Ke Jawahar Navoday Vidhyalayo Avam Shaskiya Ucchtar Madhyamik Vidhyalayo Ke Chatro Ki Shakshik Uplabdi Ka Parivarik Samajik Aarthik Parprakshy Mein Tulnatamak Adhyyan
श्रेणी : शिक्षा / Education
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
43 MB
कुल पष्ठ :
250
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about महेन्द्र कुमार श्रीवास्तव - Mahendra Kumar Srivastava
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)लिये तैयार करना हो|
परन्तु न सरकार ने ओर न समाज ने इस बहुमूल्य सुझाव की प्रशंसा, की
बल्कि इसका उल्लंघन किया- 1882 से 1902 तक माध्यमिक विद्यालयों की संख्या 5124 हो
गईं |
, (1902) का विश्वधिलय आयोग माध्यमिक शिक्षा का इतिहास-
सन 1899 में लाई कर्जन भारत मेँ गर्वनर जनरल वनकर आये, शिक्षा के
सुधार हेतु 1901 मेँ उन्होने शिमला मेँ गुप्त सम्मेलन किया, 1902 में लाडं कर्जन ने
विश्वविद्यालय आयोग की नियुक्ति की, सरकार ने इस आयोग की सिफारिशों के आधार पर
ही सन 1904 में भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम का निर्माण किया, इस अधिनियम ने
विश्वविद्यालयों को यह अधिकार दे दिया, कि वे उन माध्यमिक विद्यालयों की मान्यता के
लिये नियम बना सक्ते थे, जो अपने छात्रों को विश्वविद्यालयों द्वारा दी जाने वाली
मेटिक्यूलेशन वयूलेशन परीक्षा में भेजना चाहते हे |
5. 1913 का शिक्षा नीति सम्बन्धी प्रस्ताव :-
1913 मँ सरकार ने शिक्षा नीति सम्बन्धी अपना प्रस्ताव पास किया इस
प्रस्ताव के अन्तगर्त माध्यमिक शिक्षा सम्बन्धी निम्नलिखित सिफारिशें की गई
) माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र से, सरकार को पूर्ण रूप से नहीं हटना चाहिये |
) राजकीय विद्यालयों की संख्या मे वृद्धि न की जाये |
ভ ও
) शिक्षकों का वेतन निश्चित किया जाये।
) परीक्षा प्रणाली तथा पाठयक्रम में सुधार किया जायें
) माध्यमिक विद्यालयों की कार्यक्षमता मेँ वृद्धि करने के लिये उन पर कठोर नियंत्रण `
रखा जाये |
শি ০৩
(5
शर्मा जे. वी. :- “आनन्द प्राचार्य पथ प्रदर्श
User Reviews
No Reviews | Add Yours...