कौटिल्य के राजदर्शन की आधुनिक राजनीति में प्रासंगिकता | Relevance Of Kautilya's Political Philosophy In Modern Politics
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
384 MB
कुल पष्ठ :
413
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चिन्तन का दूसरा बिन्दु :
कौटिलीय अर्थशास्त्र के विधानों के आघार पर जिस सशक्त मौर्य-साग्राज्य की
स्थापना की गई थी वह चिर-स्थाई न रह सका। अपितु सप्राट अशोक के बाद ही वह
छिन्न-मिनन होने लगा तथा बृहद्रथ के काल मे आकर वह ध्वस्त हो गया। मौर्य -साम्राज्य के
कारणों में इतिहासकार एक कारण यह भी खोजते हैं कि
इस कारुणिक पतन के प्रमुख
कलिंग विजय से द्रवीभूत हए सम्राट अशोक जैसे उदार एवं दयालु शासक ने सेन्य-विजय
की अपेक्षा धर्म-विजय
को सर्वोच्च वरीयता प्रदान की। फलस्वरूप सैनिकों के शस्त्रबल तथा
मनोबल को जंग लग गई तथा सैन्यबल में असहनीय कुण्ठा एवं विद्रोह उत्पन्न हो गया | यही
कारण है कि अन्तिम मौर्य सम्नाट बृहद्रथ की हत्या उसके किसी शत्रु राजा ने नहीं, अपितु
हे पुष्यमित्र ने
.. एक ही है- कौटिलीय अर्थशास्त्र के महत्वपूर्ण निर्देशों की दयनीय उपेक्षा। अर्थशास्त्र को |
.. भी परिस्थिति में सैन्य शक्ति की उपेक्षा करता.दिखाई देता हो। बल्कि वह तो पग-पग पर“
च वरीयता देता है । लेकिन यदि भारतीय नरेशों ने उसकी उपेक्षा की तो
रिणाम भी उन्हं मोगने पड है । इस प्रकार कौटिलीय अर्थशास्त्र
गम्भीर दुष्परिणाम हमारा राष्ट
स्वयं उसी के सेनापति की थी यह सब क्यों ओर कौस हुआ .? उत्तर केवल /?
सैन्य बल को सर्वो
.. उसके गम्भीर तथा घातक '
अतीत में देख चुका है। लेकिन
लिए हमे निरन्तर सजग व सचेष्ट रहना है। हमें देखना होगा
के वे कौन से विधान हैं जो हमारे लिए आज भी कल्याणकारी हैं;
राष्ट्रीय एकता, अखण्डता, र्
रक्षा एवं विकास में सहायक हैं। उन विधानों की यदि कहीं किसी
ओर ध्यान आकृष्ट कराना तथा उस उपेक्षा से होने वाली
सत्य 1 तु 14787172741 `
0 मुखर्जी, (अनुवादक-
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