उत्तर प्रदेश के कारागारों में निरुद्ध विचाराधीन बंदियों के सामाजिक परिवेश ..... | Uttar Pradesh Kay Karagaron May Nirudh Vicharadheen Bandion Kay Samajic Parives.....
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
212 MB
कुल पष्ठ :
339
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मुगलकाल में कानून कुरान पर आधारित था | मुगल कानून
में कारावास, दंड का एक प्रकार जरूर रहा लेकिन इस पर ज्यादा ध्यान
नहीं दिया जाता था। जेलें बहुत उपेक्षित थीं और कैदियों को यातनाएं
भुगतनी पड़ती थीं ताकि उनके पाप यहीं धुल जायें और जन्नत में उन्हें
चैन मिले। `
ब्रिटिश शासन के दौरान जेल सुधार के लिए काफी काम
हुए। भारत में दण्ड प्रशासन के इतिहास में पहला बड़ा कदम हुआ। রি
१८३६ में, एक जेल जाँच समिति का गठन हुआ जिसमें लार्ड मैकाले भी...
एक सदस्य थे | इस समिति ने कैदियों के स्वास्थ्य, भोजन, कपड़ों और ১১
जेल में मृत्यु दर आदि पहलुओं पर अपने निष्कर्ष दिये । फिर कमेदियो
ओर सुधार-सिफारिशोँ का सिलसिला १८४८ तक पर्हुचा जब केन्द्रीय नि
कारागारों की श्रृंखला की पहली जेल आगरा में बनी, फिर बरेली मे |
केन्द्रीय कारागार बनी | १८५४ मे बनारस, मेरठ व जबलपुर बलपुर मे ओर ` ৭
उसके बाद लखनऊ में केन्द्रीय कारागार बनी |
परिवर्तित जनदृष्टिकोण के कारण धीरे-धीरे भारतवर्ष में...
अपराधो की रोकथाम के लिये कारागार प्रणाली का विकास सन् १५६७...
में इस आशय से किया गया कि अपराधियों के मन में इतना भय पैदा कर | । | । (০7
..... दिया जाये कि वे भविष्य में अपराध न करें तथा जो भी उनके विषय में.
রি ह ` सुने वह भी अपराधी कार्यो की ओर र अग्रसर न हों । परन्तु मानव व्यवहार
User Reviews
No Reviews | Add Yours...