हमीरपुर जनपद के स्थान-नामों का भाषा-शास्त्रीय अध्ययन | Hamirpur Janpad Ke Sthan-Namon Ka Bhasha-Shastriya Adhyyan
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
90 MB
कुल पष्ठ :
123
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सध्याय हमी रप्र जनपद का सामान्य परिचय ০ 15 मन इक पक
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लव्ध नही हे,
बाया वद वये पये वि निकाश वग
কিন্ত प्रचीलत सौति रवाज जो एस प्राचीन अभिनेश्ों आदि के आधार पर ही कुछ হলনা”
_सिक् तत्व प्राप्त होते हैं । प्राचीन काल में इस जिले में अधिकाज जंगल थे तथा यहा कोल
भील और गॉौंड निवास करते थे । ईसा की प्रथम तीन छतालिब्दयी में यहा गुप्त वंश का
ऐतिहासिक उल्लेख चीनी यात्री हवेनसाग का है,जी यहाँ कै টা
কাজল বো । यहा का प्रथम
सातवीं ज्ञताब्दी मै भाया था । उसने यहा सव 6५। सा 642 শী আগা জী শী । उस
` समय बुन्देल्छ्ण्ड का नाम जेजाक भक्त था । दवेनसोग ने अपनी यात्रा के दौरानल्नि
क्कि यहा की भूमिम उपजा है, पसल अच्छी होती है, मुख्य उपज गेह तथा दाले हैं
। धर्म के मानने वाले कम हैं । यहा का राजा एक ब्राम्हण है, जो कि बौद्ध धर्म पर विश
रखता है | यहा का ब्राम्द्ण शासक सम्भंवतः हर्षवर्धन के अधीन थे, जिसकी ली:
` थानेकवर थी । चन्देलों के पूर्व महोबा | गदरवार राजपू्तों के अधिकार में बताया जाता है।
ঈনশ্রন লী মত के बाद गहरवारों के हाथ लाग | गहरवारों
ইলা लाता है कि र यह क्षेत्र ह
ने यहाँ बड़े-बड़े तालाब बनवाये । बीजानगर, कण्डोीराताल, जी थाना-पसवारा के
। सरदार चन्द्र्व्मां न ने ' ता चिः
८.४ परिहार द्व रा রনি या दूषा बताया जाता ह ।पनवाष़्ी का पुराना লা न বন
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