हमीरपुर जनपद के स्थान-नामों का भाषा-शास्त्रीय अध्ययन | Hamirpur Janpad Ke Sthan-Namon Ka Bhasha-Shastriya Adhyyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सध्याय हमी रप्र जनपद का सामान्य परिचय ০ 15 मन इक पक 1 1. ए १ 0 ए. त উর বরাক উনাকে সি १९००७७ अफ्माफता' ऑरमिक५ वी 1 छ 3. 7 = 1 8 8 1 ती [1 9. রাখো উরঠসাল ছালাম বট ध्रपथाप्यक টন নারির आभ पतयः वमभ सोदर सतज शोभ तोम दिनम কপ রিও রিবা ররর জন পনর উম णण कति सधि दोर के कवते 8. 7.1 लव्ध नही हे, बाया वद वये पये वि निकाश वग কিন্ত प्रचीलत सौति रवाज जो एस प्राचीन अभिनेश्ों आदि के आधार पर ही कुछ হলনা” _सिक् तत्व प्राप्त होते हैं । प्राचीन काल में इस जिले में अधिकाज जंगल थे तथा यहा कोल भील और गॉौंड निवास करते थे । ईसा की प्रथम तीन छतालिब्दयी में यहा गुप्त वंश का ऐतिहासिक उल्लेख चीनी यात्री हवेनसाग का है,जी यहाँ कै টা কাজল বো । यहा का प्रथम सातवीं ज्ञताब्दी मै भाया था । उसने यहा सव 6५। सा 642 শী আগা জী শী । उस ` समय बुन्देल्छ्ण्ड का नाम जेजाक भक्त था । दवेनसोग ने अपनी यात्रा के दौरानल्नि क्कि यहा की भूमिम उपजा है, पसल अच्छी होती है, मुख्य उपज गेह तथा दाले हैं । धर्म के मानने वाले कम हैं । यहा का राजा एक ब्राम्हण है, जो कि बौद्ध धर्म पर विश रखता है | यहा का ब्राम्द्ण शासक सम्भंवतः हर्षवर्धन के अधीन थे, जिसकी ली: ` थानेकवर थी । चन्देलों के पूर्व महोबा | गदरवार राजपू्तों के अधिकार में बताया जाता है। ঈনশ্রন লী মত के बाद गहरवारों के हाथ लाग | गहरवारों ইলা लाता है कि र यह क्षेत्र ह ने यहाँ बड़े-बड़े तालाब बनवाये । बीजानगर, कण्डोीराताल, जी थाना-पसवारा के । सरदार चन्द्र्व्मां न ने ' ता चिः ८.४ परिहार द्व रा রনি या दूषा बताया जाता ह ।पनवाष़्ी का पुराना লা न বন




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