राजा महेन्द्रप्रताप | Raaja Mahendrapratap
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
97
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री गोविन्द हयारण - Shri Govind Hayaran
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)হাজা महेन्द्रप्रताप ] [ ४
न प नल लररक2 मर উল, নি তা সত न সপন न টিপ এত তত রী
मुग्ध हो जाता था। वह कहा करता था कि मेन्द्र प्रताप
होनहार बालक है। हाई स्कूल सेण्न्दुन् (६. 1.) की
परीक्षा उत्तोणं कर राजा साहब ने मुहम्मडन ए'ग्लोओर॑टियल
আাভিজ (1 0119,107009097) 40210 071910618] 0011986)
में प्रवेश किया परन्तु थडे ईयर अर्थात् बी० ए० क्लाप की प्रथम
चं तक हो अध्ययन कर कालिज छोड़ दिया।
. नेप्रोलियनकें रूप में-.एक छोकोक्ति है कि : होनहार बिरवान
के होत चीकने पात।” यही लोकोक्ति राजा महेन्द्र प्रताप
के सम्बन्ध में चरिताथ होती है, आप जब बाल्यकाल में अपने
सह पारियां के साथ खेलते तो नेपोलियन की सेनाः बनाते ओरं
आप खयं प़ान्सके परसिद्ध करान्तिकारी नेता नेपोलियन वनते ओर
ण्डा छे कर अगे चलते ये । उस समय यह किसी को स्वप्न
में भी ख्याल न था कि जो बालक आज खेल में क्रान्तिकारी नेता
बन कर भरणडा उठा रहा है वह वास्तत्र में किसो समय संसार
में सु प्रसिद्ध होगा !
विवाह... जब राजा महेन्द्रपताप की अवस्था १६ वर्ष की हुई
तो भींद के महाराजा षादरः ने अपनी छोटो बहिन कै साथ
आपका विवाह कर दिया । विवाह होने के वाद् राजा साहब नै
अपना निवास स्थान हिन्दुओं की परम पुनीत पुण्यमयी ओर
आनन्द कन्द प्रजयंद् भगवान श्री कृष्ण की क्रीड़ा भूमि वृन्दावन
में नियत किया। विद्यार्थोजीवन मे भी राजा साहब अक्सर
User Reviews
No Reviews | Add Yours...