राजा महेन्द्रप्रताप | Raaja Mahendrapratap

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Raaja Mahendrapratap by श्री गोविन्द हयारण - Shri Govind Hayaran

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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হাজা महेन्द्रप्रताप ] [ ४ न प नल लररक2 मर উল, নি তা সত न সপন न টিপ এত তত রী मुग्ध हो जाता था। वह कहा करता था कि मेन्द्र प्रताप होनहार बालक है। हाई स्कूल सेण्न्दुन् (६. 1.) की परीक्षा उत्तोणं कर राजा साहब ने मुहम्मडन ए'ग्लोओर॑टियल আাভিজ (1 0119,107009097) 40210 071910618] 0011986) में प्रवेश किया परन्तु थडे ईयर अर्थात्‌ बी० ए० क्लाप की प्रथम चं तक हो अध्ययन कर कालिज छोड़ दिया। . नेप्रोलियनकें रूप में-.एक छोकोक्ति है कि : होनहार बिरवान के होत चीकने पात।” यही लोकोक्ति राजा महेन्द्र प्रताप के सम्बन्ध में चरिताथ होती है, आप जब बाल्यकाल में अपने सह पारियां के साथ खेलते तो नेपोलियन की सेनाः बनाते ओरं आप खयं प़ान्सके परसिद्ध करान्तिकारी नेता नेपोलियन वनते ओर ण्डा छे कर अगे चलते ये । उस समय यह किसी को स्वप्न में भी ख्याल न था कि जो बालक आज खेल में क्रान्तिकारी नेता बन कर भरणडा उठा रहा है वह वास्तत्र में किसो समय संसार में सु प्रसिद्ध होगा ! विवाह... जब राजा महेन्द्रपताप की अवस्था १६ वर्ष की हुई तो भींद के महाराजा षादरः ने अपनी छोटो बहिन कै साथ आपका विवाह कर दिया । विवाह होने के वाद्‌ राजा साहब नै अपना निवास स्थान हिन्दुओं की परम पुनीत पुण्यमयी ओर आनन्द कन्द प्रजयंद्‌ भगवान श्री कृष्ण की क्रीड़ा भूमि वृन्दावन में नियत किया। विद्यार्थोजीवन मे भी राजा साहब अक्सर




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