चीन अंक - भूगोल | Cheen Ank - Bhuugol

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Cheen Ank - Bhuugol by विविध लेखक - Various Writers

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कारबार १५ तैयार करने के लिये यहाँ एक कारखाना खोला गया था | कहा जाता है इस कारखाने में उन दिनों १० लाख आदमी काम करते थे । टेपिंग विद्रोह में यह कारखाना विद्रोहियों ने नष्ट कर डाला । चीनी बतन के कारखाने अब आधुनिक ढंग पर खोल।गये हैं किन्तु पुराने ज़्मान के बतनों की सी आब और रंग अब उन पर नहीं आता । लगभग ६ लाख पौण्ड के बतेन बाहर भेजे जाते हैं । कपड़े का काम कुछ दिनों पहले तक सवत्र करघों पर होता था । गाँवों की ग़रीब जनता करघे पर बुने हुए सस्ते कपड़े पहनती थी | किन्तु अब जेसा कि हमने बताया, मशीनों के .प्रचार स करघे बन्द होते जा रह हैं । जहाँ तक चीन के कारखानों का सम्बन्ध है, वे प्रायः विदेशियों द्वारा ही सब्चालित हो रह हैं इन विदेशियों न कोयला और लोहा आदि कच्चा माल विशेषाधिकार के रूप में ले रक्खा है। चीन का खास कारबार कपड़े और लोहे का है। निम्नलिखित तालिका मे हमें देखते हे । वपं तकुओं की संख्या १८९३ २०४, ७१२ १०५३ ९८२, ८९२ ५५.२६ ४,०६६, ५८० १९३० ४,५२०, ००६ १५३३ ४,६९९, २५७ कि ४० साल के अन्दर किस तजी से कपड़े का कारबार चीन में बढ़ा है। रूह अभी चीन के अन्दर पर्याप् मात्रा में उगाई नहीं जाती, अतर्व रूई बाहर स मेगानी पड़ती है। ४ मन वजन की २४ लाख गाठे प्रति वपं अमरिकरा ओर हिन्दुस्तान स चीन में जाती हैं । उत्तर चीन में कोयले की खानें बहुतायत से हैं । शांसी सूबे का ३० हज़ार वर्ग मील करीब करीब कायल की खानों स भरा है लोगों का अनुमान है कि अकेले शांधषी में इतना कोयला है कि वह सारे संसार की आवश्यकता हजारों वर्ष तक पूरा कर सकता है । ये कोयले की चद्रानें 2०, ४५ फीट मोटी हैं। य खनें अकसर पहाड़ियों में हैं, अतए्व खान की खुदाई का काम भी बहुत सहल हो गया। कोयले की खान जापानियों और अंग्र जों के हाथ में है। कोयले की उत्पत्ति का ३३ प्रतिशत चीन की पूजी द्वारा होती है, ३० प्रतिशत जापानी पंजी और ११ प्रतिशत अंग्र जा को पजी द्वारा। कोयले वाले प्रान्त जहोल, হাল্লা' चहार, यूनन, हुनान, सिकरांग हैं। १९३४ में २॥ लाख टन कोयला खानों स बाहर निकाला गया था। विशेषज्ञों का अन्दाज़ है कि चीन में कुल २॥ खरव टन कोयला खानों में है । लोहा लियोनिंग और चहार प्रान्तों म॑ं मिलता है । वापिक निकासी लगभग २२ लाख टन की है । मंचूरिया में भी लोहे की खाने हैं। तांबे की खाने उत्तर चीन में हैं, पर वह गवनमेणट के अधिकार में हे, गैर सरकारी कम्पनियों को खान से तोधा निकालने की इजाजत नहीं हे । নিন? भी चोन के मुख्य खनिज पदार्थों ' में से है। २० लाख पौण्ड की कीमत का टिन प्रति वपं बाहर जाता है । एऐस्टमनी, पारा, नमक आदि की भी तिजारत होती है। मिट्टी के तेल के सोते शान्सी, लियोनिंग, होपाई प्रान्तों में मिलते हैं । वाषिक निकासी २४ करोड़ गैलन की है। इस तरह मिट्री का तेल देश की जरूरत पूरी नहीं कर सकता । विदशां स पेट्रोल, ऑर मसिदट्री का तेल मगॉना पड़ता है । चीन के कारबार की उन्नति के रास्ते में अनक सकावटे हे । गृह युद्ध, समर नायको की नादिर शाही, जापानियों का निरीह जनता का शोपण करना, य सभी बातें ऐसी हैं जो व्यापार की उन्नति नहीं होने देती। एक बात और है, जनता की गरीबी जब तक दूर नहीं होती, उनकी जेब में जब तक पेसा नहीं आता, तिजारत भी नहीं बढ़ सकती । जो कुछ थोड़ा बहुत कारवार ह भौ, वह जापानियों या अन्य विदे- शियों के हाथ में है । चीन के गस्तुत व्यापारों गैर महाजन विदेशी कम्पनियों का माल चान में बेचते हैं । एक प्रकार की दलाली का काम उन्हें करना होता है । मुनाफ़ की रक्रम सब की सव विदेशियों की जब में जाती है, फिर देश की तिजारत की उन्नति किस तरह हो ? विदेशी साम्राज्यवाद फरेब और दगा से भरे हुए सन्धि पन्नों की आइ में चोन के कच्चे माल




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