तीर्थयात्रादर्शक | Tirthyatradarshak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
348
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)€ १० )
यदि ঘন দাল ঘন है तो उसके संघ करनेके लिये तीम
शत्र सेवके सिशय ओर क्या कयि होमा |
५- यदि किसी तीयैपर नि पकक चक बरह्मचारी
आदि पिल जांय तो उनका पिछाप बढ़े पुरयक्ा फल
समभार भक्ति पवसे उन्हें आहार ओपध স্বাজ
आदिका दान करो । दीययात्रा जौर पात्र दानका पिलना
बहुत कठिन दै । दानके विना पनुष्य जनप ओरं गृदस्थाचार
विफल है। तीर्थ क्षेत्रमें प्रवश्य कोई न कोई पात्र पिछता
है भूल न करो।
&- मजदर गोदी ले जानेवाले दोली वाले पनुष्षोंकी
मजूरी ठीक दो ¦ उन्हें दिककर उनका जी मत दुखाओ ।
७- क्षेत्रोपर अकसर लूले तंगडे श्रपाटिज बहुत
रहते हैं । उनका जीना यात्रियोंके दान पर ही निभेर है ।
करुणा बुद्धिसे उन्हे भी दान दो ।
प्र- जिस दिन पवेंत आदिकी बंदनाके लिये जाना
हो उसके पहिले दिन शुद्ध पवित्र पाचक भोजन करना
चाहिये जिससे पूजन झ्ादिमें परिणाम लगे ओर मल मृत्र
आदि की बाधा न हो ।
पहाड आदिपर चढ़ते समय वडी सावधानी रखनी
' चाहिये । शआगे पीछेका बराबर ध्यान रख कर चछना
चाहिये जल्दी करनेसे कष्ट होता हे इसलिये वैसा न करना
चाहिये ।
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