तीर्थयात्रादर्शक | Tirthyatradarshak

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Tirthyatradarshak by गेवीलाल - Gevilal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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€ १० ) यदि ঘন দাল ঘন है तो उसके संघ करनेके लिये तीम शत्र सेवके सिशय ओर क्या कयि होमा | ५- यदि किसी तीयैपर नि पकक चक बरह्मचारी आदि पिल जांय तो उनका पिछाप बढ़े पुरयक्ा फल समभार भक्ति पवसे उन्हें आहार ओपध স্বাজ आदिका दान करो । दीययात्रा जौर पात्र दानका पिलना बहुत कठिन दै । दानके विना पनुष्य जनप ओरं गृदस्थाचार विफल है। तीर्थ क्षेत्रमें प्रवश्य कोई न कोई पात्र पिछता है भूल न करो। &- मजदर गोदी ले जानेवाले दोली वाले पनुष्षोंकी मजूरी ठीक दो ¦ उन्हें दिककर उनका जी मत दुखाओ । ७- क्षेत्रोपर अकसर लूले तंगडे श्रपाटिज बहुत रहते हैं । उनका जीना यात्रियोंके दान पर ही निभेर है । करुणा बुद्धिसे उन्हे भी दान दो । प्र- जिस दिन पवेंत आदिकी बंदनाके लिये जाना हो उसके पहिले दिन शुद्ध पवित्र पाचक भोजन करना चाहिये जिससे पूजन झ्ादिमें परिणाम लगे ओर मल मृत्र आदि की बाधा न हो । पहाड आदिपर चढ़ते समय वडी सावधानी रखनी ' चाहिये । शआगे पीछेका बराबर ध्यान रख कर चछना चाहिये जल्दी करनेसे कष्ट होता हे इसलिये वैसा न करना चाहिये ।




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