गाँधी और स्टालिन | Gandhi Aur Stalin
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
214
श्रेणी :
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लुई फ़िशर - Lui Phisher
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राजनीति और स् गफली 4७
- ओर ऐसे जीवन के वहुत-मे पहलू होते हू इसलिए বানু भी वहत-रे
पहलुओ वाले ब्यक्ति थे। 'हरिजन'के साप्ताहिक अको से गावी बार-बार
अपना ध्यान या तो इस ओर देते रहे क्रि उनफे देशवासी मर राफल्ली का
क्या-क्य्रा उपयोग कर सऊते है या प्रश्तो के उत्तर देने की और । उदा-
हरण के तार पर खुक ओरत ने पत्र लियफर उनसे पृ कि वह পুর
की आउइव को निंदा क्यो नहीं क्रते। इसके जदाव से उन्होंने लिया
एव भ
कि हल र्त की उन्नते লুল নিলা অন হ পা एक बार किः निन्डा
एक लेख रे गान्वी भारत के लिए केसी आजादी चाहिए इसकी
व्याय्या फरते, दूसरे में वे मिठाई बनाने फे लिए टिस्े ने बाल
चीनी के राशन से कसी करने की माग करते, तीसरे से वे अपराध
ओर अपराधियों की समस्या पर प्िचार करते, चोशे से थे यह आशा
प्रकट मरते फ्ि स्वदनत भारत में सेनाओ के रखने के विपय से নিম
नत्रण से काम लिया जायगा, पाचवे में वे यह फेपला करते फ्रि क्ट
बोलना फ्सी भी अवस्था से उचित नहीं हो सकृता-- सित्य बोलने
फिसी अपवाद की स्वीकृति की शु जाइश नहीं ।”?
सन्त, महात्मा, गान्वी के सिए राजनीति कहं वहत च्डी चीज
ही थी ओर स् गफली कोई बहुत मासूली चीज नहीं।
गान्यी की अत्यविक आश्चयकारी बातों में से एफ थह उक्ति
वे प्रत्येक दिन के चौवीसी घण्टे जनता में ही व्यतीत करते थे गौर
इसमें ही फलते-फूलते प्रतीद होंते थे । उनका बिद्दाना एफ चटाई थी,
জী কি শাহ লইলা ই ओपवाहय, या जहा सी थे रहते बहा, पत्यर
के बने चबूतरे पर रखे तख्त पर बिछ्ी रहती थी । यह चबृतरा खुला
ओर जमीन से समतल होता था। कई चेले अपने गुर के पास उसी
चवूतरे पर सोते थे ।
सुबह चार बजे महात्मा और उनका दल प्राबन्य करता था। इसके
बाद वे नारगी या झ्राम का रस पीते, और अपने हाथो से पत्रों के
जज
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