श्रीगणेश पुराण | Shree Ganesh Puran

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Shree Ganesh Puran by पूर्णाचन्द्र कासलीवाल - Purnachandra Kaslival

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आंगशणेशायनमः । शी गणेश पृशण का आषाबुबाद । ` ड है उपासना खण्ड अथम अध्याय | सोमकीतेकांत वर्णन । ओगरणेशायनमः | ओसरस्वत्यैनसः भीगुरुभ्योनमः | नमस्तस्पे गणेश्ञाय बअकह्वविद्या प्रदापिते । पस्यागस्त्यायतेनाय दिष्नसागर्‌ शोषणे ॥ १) अथात्‌ वहम त्रिया के देने वाले उन औशरेशजी क्रो नमस्कार है, जिनका নাম विध्नरूपी सागर को उखाने के लिये काफ़ी है आगर्त्यं के समान है। 1. এ ऋषी बाह्ले। ` हे झ़तजी आप बड़े परिडत हैं वेद और शास्त्र में धुरंधर हैं, सब विद्याओं जाने हैं, आपसे बढ़कर कोई वक्ता नही मिलता, हमारे इस जन्म दूसरे जन्मों के बड़े पुरय हैं, जिनसे सर्वज्ञ अर्थात्‌ तर कुछ जानने वाले ; दर्शन हमको हुए, हम इस लोक में सब से अधिक धन्य हैं हमारा जन्म




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