आरोग्य की कुंजी | Aarogyaki Kunji
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
92
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )
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सुशीला नैयर - Sushila Naiyar
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रस्तावना
ोसोग्यके विषयमे मामान्य जान * गौषवने ˆ जिण्डियन गोपी-
नियन ' के पाठक्रकि लिअ मेने कु प्रकरण १९०६ के आसपास दक्षिण
अफ्रीयार्म ल्खि थे। वादमे वे पुस्तकके रूपमे प्रकट हुओ। हिन्दुत्तानमे
यह पुस्तक मुश्किलसे ही कही मिल सक्ती थी । जब मे हिन्दुस्तान
वापनं जाया, भुन वक्त जिस पुस्तककी बहुत माँग हुओ । यहाँ तक
कि स्वामी अखडानन्दजीने अुसकी नमी बावृत्ति निकालनेकी जिजाज़त
माँगी, और दूसरे छोगोने भी अुसे छपवाया। जिस पुस्तकका अनुवाद
हिन्दुस्तानकी अनेक भाषाओंमे हुआ, और अग्रेज़ी अनुवाद भी प्रकट
हुआ । यह अनुवाद पश्चिममे पहुंचा, जीर अुसका अनुवाद युरोपकी
भाषाओम हुआ । पर्णिम यह आया कि पब्चिममे या पूव॑म मेरी
कोओ पुस्तक मितनी लोकप्रिय नहीं हुओ, जितनी कि यह पुस्तक ।
जिसका कारण में आज त्तक समझ नहीं सका। मेने तो ये प्रकरण
सहज ही लिख डाले थे। मेरी निगाहमें अुनकी कोओ खास कदर
नहीं थी। में जितना अनुमान ज़रूर करता हूँ कि मेने मनुप्यके
णारोग्यको कुछ नये ही स्वरूपमें देखा है, और सिसल्लिमे मुकर रक्षाके
साधन भी सामान्य वेद्यो और डॉक्टरोकी अपेक्षा कुछ अरूग ढगसे
बताये हें। भुस पुस्तककी लछोकप्रियताका यह कारण हो सकता है।
मे यह् अनुमान ठीक हो या नही, मगर जिस पुस्तककी नमी
आवृत्ति निकालनेकी माँग बहुतसे मित्रोने की है । मूल पुस्तकमें मेने
जिन विचारोको रखा है, बुनर्मे कोमी परिवर्तन हमा है या नही,
यह जाननेकी अुत्सुकता वहुतसे मित्रोनें वताजी है । आज तक जिस
बिच्छाकी पूर्ति करनेका मुझे कभी वक्त ही नहीं मिला। परन्तु आज
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