जैन ग़ज़ल गुल चमन बहार | Jain Gazal Gul Chaman Bahar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
375
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १७)
॥
।
|
ठ निवाद्धेः पर भाना, इन्सान को लौलिपि नदी ¦
উজান্ধ শী सड, परनार के परथमम । ३ ॥'चोरसो
सत्ताणुवां कानून पे, लिखा दफा | सजा दृाक्षिमि से पिल
न
परनार के परसग स | ४॥ जब' सूंत्री নম মলা) দন্ত
दखला, कुरान बाइबल मे लेखा, पर नार के प्रसंग से ॥ ४॥।
সি
रावण कीचक भरि गप, द्रौपदी सिया के वास्ते | मणीर०
पर् नके गया, परनार के परसंग से ॥ ६ ॥ नहर वभ
तलवार से; अबन प्लल्जिप बदकारने | हजरत अली पर वहारं
की, परनार के परसंग से ॥ ७1) कत्ते को कृत्तां काठता, इत्लं
नर नरको करे | पल मे मोदञ्मत टूटी, परनार के परसग
५
से ॥ ८ ॥ किसलये पैदा हुवा, अथ देहया इव सोचते ।
रदे चोथमलं अवर सक्र कर्, एरनार के पर प्गसे ॥ ६ ॥
ज पूवेदत् ।
ग़ज़ल ( बद सोबत निपेध पर ) +
अगर चाहे आराम तो, जाहिल की सोबत छोडदे |
पान ले नसीहत पेरी, जाहिल' की सोदत छोडदे || ठेर ॥
झगर श्रकरमन्द है, होशियार णो है तूं दिला । भूल के अंखत्यार
पत कर, नाहि को सावत छोडदे ॥ १ ॥ नाहिल से मिलतः
स्त रहे, मानिद् शक्कर सीर के । भाग' मुझआफिक तौर के
जाहिल फी सोवत জীবন || २॥ दुर्मन भी अङ्कपंद बेहतर,
रवे जादि दोस्त के | प्रहेजगारी है भी, जाहिल =
न~~ পিপিপি
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