हिन्दी एकाकी | Hindi Ekaki
श्रेणी : नाटक/ Drama
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
210
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)माग १] आरम्भ और विकास १७
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वेनतो सस्त के श्रनुकरण परै, न श्रंगरेजो ॐ । कला कौ सूदन दृष्टि
इनमें नहीं आयी । अ्रत' हम इन्हें हिन्दी के एकाडियों को प्रथमावस््था कह
सकते हैं। प० रामचन्द्र शुक्ल ने अपने हिन्दी-सादित्य के इतिहास के
'संशोधित और परिवर्द्धित संस्करण' के पृष्ठ ६०८ पर लिखा हैः
“दो एक व्यक्ति अंगरेजो मे एक अड्ड वाले आधुनिक नादक देख उन्दी
के ढड्ठ के दो एक एकाझ्नी नाटक लिखकर उन्हे बिल्कुल एक नई चीज कहते
हुए सामने लाए। ऐसे लोगों को जान रखना चाहिए कि एक अड्ड वाले कर्
उपरूपक हमारे यहों बहुत पहले से माने गए हैं ।”
उपछपक के उल्लेख से प्रतोत होता है कि शुक्लजी का हमारे यहाँ?
शब्दों से अ्रभिष्राय इमारी संस्कृत की संपत्ति से है । जेसा दम परिशिष्ट में
संस्कृत में एड्टाकी' में विस्तार से प्रकट करगे 1 इसारे यहाँ एक श्रड्ढ
वाले कई उपरूपक ही नहीं रूपक भी थे | 'भाण तथा प्रहसन जो पदे
तथा बाद में भी अत्यन्त जन-प्रिय रहे, रूपऊ के द्वी भेद हैं, उपछपक के
नदी । किर जेष दमने इसी अध्याय मे षिद्ध क्रिया है हिन्दी में एकद्धियो
कौ परम्परा भारतेन्दु काल से ठीक उसी प्रकार ই জিব সঙ্কাহ লাতক্ক की।
जेसे नए दन्न के नाटकों का आश्चयेमय आरम्भ 'प्रसाद', उदयशइर भट्ट
या लक्ष्मीनारायण मिश्र के द्वारा नहीं माना ज। सकता, उसी प्रकार एकद्वयों
का भी आश्वयेमय नवारम्भ प्रसाद, डाक्टर रामकुमार वर्मा, उपेन्द्रनाथ
अश्क, भुवनेश्वर या उम्र से नहीं माना जा सकता है+। इन लोगों ने तो ढिन््दरीं
बाहरी प्रभावों से ओर आवश्यकताओं से प्रेरिव होकर इनकी पुनस््थपना
* आधुनिक हिन्दा नाटक नाम की पुस्तक में प्रो० नगेन्द्रजी ने लिखा है
“हिन्दी एक्ाकी का इतिहास गत दस वर्षों में समय हुआ है”-...
ये पक्षियों लेखक इस काल के यथाथे अध्ययन के अभाव के कारण
टी लि सका । इस पाठ में जो साज्षियाँ एकाड्डियों के सम्बन्ध में दो गयी है
जव उन पर विचार किया जायगा तो यह मानना पडेगा कि एक घृ'ट” ही
नहीं! और भी एक घू८! के कितने ही पूवेज हैं, ओर आज के एकाकी के
सूलतत्व सोटे रूप में इनमें भी हैं ।
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