पूर्व बुनियादी तालीम | Purv-buniyadi Taleem
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
144
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रारम्भ १९
नदीं लगता । नद तालीम वद शक्ति ই ज्ये मामोत्यालका काम
बढ़े चमत्कारके साथ परा करेगी । `
वचपनसे द्वी यदि लड़के लड़कियाँ हमारे द्वाथमें आयें और
“ सात साल था उससे भी अधिक ससय तक हम उन्हें शिक्षित
करे फिर भी यदि उनमे स्वाव्लम्बन शक्ति न अवेतो हमे यदं
मानना पड़ेगा कि नईं तालीसका पूरा परा अथे हमने ्रहण नदीं
किया है। जो आधुनिक शिक्षा हमें दी जाती दै उसीके कारण
हमारे मनमें दुविधा होती दै कि रिक्ता स्वावलम्बी ददी नदी
सकती । मेरा शद विश्वास ई किं यदि नई तालीम हारा हम
वालकको पूणं स्वावलम्वी नहीं वना सके तो ऐसा मानना होगा
कि शिक्षक समुदाय उसे समझता द्वी नहीं है। मेरी रायमे नई
तालीमके जितने लक्षण ই उनमें स्वावलस्बन एक मुख्य अंग था
लक्षण है | अगर यह वात छोटे लड़के लड़कियोंके शिए सही है
तो फिर प्रोढ शिक्षासें तो स्वावलम्बन होनीद्दी चाहिये। अगर
ऐसा माना जाय कि प्रोढ शिक्षा मुश्किल काम है तो मैं यह
कहूँगा कि यह सिफे वहम हे। चच्चोंको जिस प्रकार “थी आते”?
सिखानेके पक्तमे हम नहीं हूँ ठीक उसी प्रकार यह नहीं भूलना
! चाहिए कि नई तालीममें सम्पूर्ण सहयोग आरम्मसे ही अमलमें
लाना चाहिए। सहयोगका पूरा अर्थ जो जानता है उसके मनमें
स्वावलम्बनका मश्न उठदी नहों सकता ।
बापका यह वक्तव्य पर्व चुनियादी और सयानोकी तालोमऊा '
सिद्धान्त रूप दे। वालककी शिक्षा उसकी माँ की शिक्षासे सम्ब-
न्धित ই, यह मी सिद्धान्तदी दे । साँ--वापके परम्परागत संस्कार
बच्चेके स्वभाव और प्रवत्तिको चनानेदाले होते हैं।जिस घरमें
चह पैदा होता है वचा वातावरण ही उसके शिक्षणक्रा साधन
है। यह स्वाभाविक है कि वच्चेका शरीर, चुद्धि, झौर सन उसी
हरे
চে
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