रेत और झाग | Ret Or Jhag
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
740 KB
कुल पष्ठ :
40
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
खलील जिब्रान - Khalil Jibran
No Information available about खलील जिब्रान - Khalil Jibran
माईदयाल जैन - Maidayal Jain
No Information available about माईदयाल जैन - Maidayal Jain
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रेत और फाग ११
हुआ, में प्रसन्न हूं कि वह मर गया है, क्योंकि यह संसार
हम दोनों के लिए काफी नहीं है 1
চা রণ <
में एक युग तक खामोश और ऋतुओं से अनभिज्ञ मित्र
देश की रेत में पड़ा रहा ।
इसके वाद सूर्य ने मुझे जन्म दिया और मैं उठ खड़ा हुआ;
श्रौर में दिनों में गाता हुआ और रातों में स्वप्न देखता हुआ
नील नदी के किनारे-किनारे चलने लगा ।
भ्रव सूर्यं अ्रपनी सहलो किरणों से मुक्पर श्राक्रमण कर
रहा है, जिससे में दुवारा मित्र की रेत में सो जाऊ ।
पर यह् कितनी अ्रगोखी वात झौर पहेली है ! जिस सूर्य
ने मेरे जीवन तत्वों को इकट्ठा किया, श्रव वही उन्हें च्लग-
अलग नहीं कर सकता ।
फिर भी में हृढ़ता और विश्वास के साथ नील नदी के
किनारे चल रहा हूं ।
© ৯
याद रखना भी मिलन का एक रूप है ।
< ©
भूल जाना भी स्वतंत्रता का एक रूप है ।
ॐ ©
हम काल को अ्रसंख्य नक्षत्रों की चाल से मापते हैं।
और दूसरे आदमी काल को उन छोदे-छोटे यन्त्रों से मापते हैं
जिन्हें वह अपनी जेवों में लिए फिरते हैं ।
फिर तुम ही मुझे बताओ, कि में और वह दोनों एक ही
स्यान पर एक ही समयमे कंसे मिल सकते हँ?
User Reviews
No Reviews | Add Yours...