आत्म-निरीक्षण (तीसरा भाग) | Aatm Nirikshan (Tisra Bhag)

AAtm Nirikshan (T by

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
सन्‌ १६४६ के चुनाव और उसके वाद की घारासभाएं ११ भारतीय मजदूर स्याम और वर्मा की “डेय रेलवे” पर काम करने के लिए मलाया श्र वर्मा से जापानियों द्वारा ले जाये गये थे उस विपय में भी भारत सरकार की श्रकर्मण्यता पर। अ्रन्तिम प्रस्ताव पेश करने की इजाजत नहीं मिली, पर पहला और दूसरा प्रस्ताव ता० ४ और ५ फरवरी १६४६ को पेश हुए ओऔर पास भी हो गये । पहले काम रोको प्रस्ताव पर मनोरंजक घटना घटित हो गयी । दक्षिण अफ्रिका के सम्बन्ध में भारतीय सरकार की नीति को ्नंग्रेजी में मेने “11090- ০719 91४४०१९” कटा था याने नपु सक नीति 1 श्री एम० श्रार० मसानी जल्दी से मेरे पास आये और वोले श्रापने गतत णब्द का उपयोग कर्‌ डाला है। यह शब्द संज्ञा है विशेषण नहीं श्रौर श्रापका वड़ा मजाक उड़ेगा | मेरी अंग्रेजी तो बुरी नहीं है, पर आखिर अंग्रेजी मेरी मातृभाषा तो है नहीं। ऐसे स्थानों पर हरेक को मूर्ख बनाने का प्रयत्व किया जाता है अतः छुके पसीना सा आगया । में तुरन्त पुस्तकालय में कोप देखने पहुँचा । सौभाग्य से यह शब्दे संजा और सवनाम दोनों में प्रयुबत होता था 1 सवसे वड़ा कोप लेकर म श्रपनी सीट पर वैंठ गया । भूलामाई के समय से ही मेरी सीट प्रयम पंवित में थी । श्वी मसानी का कयन ठीके निकला । एकं सज्जन मेरा मजाक उदाने खड़े हुए ही, पर जब मैंने उत्तर में वह भारी-भरकम कोप उन महाद्यय ये सामने खोला तब हँसी का ठहाका लगा उन पर | मेरा मजाक न उड़, उड़ गया उनका मजाक । केन्द्रीय धारासमा के इस प्रथम अधिवेशन में एक प्रस्ताव को और बहुत अधिक महत््व मिला | यह था श्राजाद हिन्द फौज के कैदियों की रिहाई के लिए | यह प्रस्ताव श्री गोविन्द मालवीय ने रखा था | उस समय ग्राजाद हिन्द फौज के कैदियों का प्रश्न वड़ा ज्वलन्त प्रदन था । इस प्रकार कायदे-कानून के अनुसार केन्द्रीय और प्रान्तीय घारामभायों के काम तो आरम्भ हुए, परन्तु आगे आने वाले राजनंतिक परिवत्तंनों की शोर सवका ध्यान रहने के कारग्य कुछ दिन वाद इन सभाझ्रों पर किसी का चियेष ध्यान न रहा | हाँ, आगे चलकर इनका महत्त्व अवश्य बढ़ा, व्योंकि ऐेन्द्र में जो पहली राप्ट्रीय सरकार संगठित हुई वह इसी केन्द्रीय प्रसेम्बली में वंटो तथा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now