संयोगता - हरण नाटक | Sanyogata Haran Nataka

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Sanyogata Haran Nataka by हरिदास - Haridas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चश्बीतल के राजावों में अद्वितीय बलशालो और छु त्िंमान पुरुष है । इख समय पृथौ प्रर उसका यश शरद ऋ . का सा चटक चांदनो कैला रहा हि) न ... ब्राक्षण--हां मैंने भी इस प्रतापो राजा की बड़ी प्रशंसा _ शुनो है । वह बढ़ाददी शूरवीर है। छत्रियों के सब गुण ५५ उस में वतन छू ॥ 8 ..._ सदतिका--झअकछा झब विशेष प्रशंसा को व का पाप ष र ] রঃ . नहीं | आज पांठ भी बहुत देर तक हुआ है और ऊपर से आपने भो गण वसेत में कुछ समय ले लिया | अरू्तु अब | ` कटी क्षे पिले भाग पर मी चलकर कुमारियों को देखना है ... ब्राह्मण--ह हूं शीघ्र चलो (संयीगता से) संयोगता 6 तम यहीं पाठ ऋरो. हसलोग ट्क परणोेशाला को ओर जाते हैं। ছা ( दोनो का प्रस्थान ) 53 রি 1 : संग्रोगता-ऋपृष्वीसुज की लोग बड़ी प्रशंघा करते हैं । जात प्रता है, यड राजाः वारूतविक्मे शू (वोर है, क्योंकि १ दरबार से श्री इनका बणेंनल होता था... |... द पडली कमारो--देखो संयोगता शू रबोर के पाले पडकर च हमें भो न विसरा देना ? ५ से कमारोी--झजी बिवाह के बाद कोन किसको = प्ता है। ( संयोगता से ) क्यों संयोगता ठोक है ल ? सीसरी कुमारो--ठोकू है विवाह के बाद यह अपने प्राण




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