दुरभिमान-दुराकरण | Durbhiman-Durakaran
श्रेणी : मनोवैज्ञानिक / Psychological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
102
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दुरमिमान दूरीकरण | শু
में छपा था उस को पढे, इसी पुस्तक के अन्त में परिशिष्ट रूप से वह
छपा है। यहाँ भी कुछ विवरण कर উদ ই 1 “ मठ चिवासे ” धातु
स मठ शव्द वनता है. ययाथ त्र उस का वासस्थान है। “ मठट-
इछात्रादिनिलयः ”” इस अमरकोशानुसार छात्र आदि क रहने के
स्थान मुख्यतया मठ शब्द का अथ हाता है | छात्र शब्द मु
ख्यतया विद्यार्थियों का नाम है । विद्यार्थी छोग गुरुकुख्वार
करते है. गुरुओं के वासम्थान ही गुरुकुरु हे, गुरु-अर्थात् वेदादि विच
प्रदाता ग॒हम्थ ही होने है । अतएव मठगब्द का खुख्यारथ छात्र जहाँ
रहे एमे गृहम्थ-गुरुओं का वासस्थान हीं दै । उपर उदाहृत अमरकोश
के छाक की टीका भ्डक्षीरम्वामी यो करते दै--“मव्यनेऽस्मिन्मठः,
मट निवासे, छचरीला विद्यार्थिनएछाज्ञाः, छज्जेण मुरुसेवह
लक्ष्यते, ° छच्रादिभ्योणः ` सज्रराला प्रति्चयच्च । “ˆ ईय
का अर्थं यह है-जजिस में वास किया जाता ह वह मठ, मठ नि+
वासे ` धातु से ख्ट शब्द बनता हे, छत्र जिन গা হী हो वे छात्र
कहलाते है, छत्र शब्द से गुरुसेवा लक्षित होती है, “ छत्रादिभ्योण ?
सूत्र से छत्र शब्द के उपर ण प्रत्यय आने से छात्र शब्द बनता है!
इस प्रकार से मठशब्द का अथ है सनत्रशाला ओर प्रतिश्रय । इस क्षीर-
स्वामी के व्याख्यान के अनुसार मठ शब्द के. दा अथ् है-एक सन्रशारा,
दूसरा प्रतिश्रय | अब देखना चाहिये सत्रशाला किस को कहते हे £
वाचस्पत्य कोरा म सत्रशाख का अर्थ यों ढछिखा है-- “ खसत्रशाला
स्त्री दे त। अन्नजलादेदोनार्थे कल्पिते गहे । हेम अर्थात्
अन्त जल आदि देने के लिये जो घर बाधा जाता है उस का नाम सत्र
शाला है। अब प्रतिश्रय शब्द का भी अर्थ देख लना चाहिये। वाच-
स्पत्य कोश में प्रतिश्रय शब्द का अथ यो किया है--* प्रतिश्रय. पु.
प्रतिश्नीयते प्रति अ-आधारे अच् | यज्ञगणहे, जदा, र२ स्-
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