आज के शहीद | Aaj Ke Shahid

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Book Image : आज के शहीद  - Aaj Ke Shahid

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श श्राज के शहीद लगाने दूँ गा. मैं हिन्दुओं से क्या कहता हूँ, यह जाकर उस मुहल्ले के मुसलमानों से पूछो. वह तुमको बतलायेंगे कि वहाँ से उनको किसने निकाला है. मुझे हिन्दू मुसलमान से क्‍या -मतलब ? जो वेगुनाहों का खुन कर रहे हैं क्या वह भी हिन्दू या मुसलमान हैं १ मीड़ खामोश है. ऊपर से सहमे हुए बच्चे और औरतें देख रहे हैं. उनके दिल धड़क रहे हैं. यह कौन है, जिसने उनको “मौत के मुंह से उबार लिया है , % “तो अब आप क्या सोच रहे हैं? आप साफ़-साफ़ बतलाइये कि आपका इरादा क्‍या है ? उसने फिर भीड़ से कहा. भीड़ से कुछ आदमी आगे बढ़ते हैं और म॒लायम आवाज में कहते हैं--- आप यक्लीन रखिये,यहाँ अ्रत्र कोई गड़बड़ नहीं होगी, लेकिन आप हिन्दुओं को भी सममाइये . 'मैं हिन्दुओं से भी इसी तरह कहता हूँ. वह जो कुछ कर रहे हैं, उसके लिये मुझे शमिन्दगी है. आप मेरे सर पर हाथ रखकर मुझे मरोसा दीजिये कि यहाँ के हिन्दुओं की पूरी तरद हिफ़ाज़त होगी .” “इसका इतमीनान हम कैसे दिलायें? गुन्डों पर हमारा क्‍या बस है |! हाँ, आप हिन्दुओं को यहाँ से अभी निकाल ले जाये, तो हम अपनी हिफ़ाज़त में उनको हिन्दू महल्लों में पहुँचा বনী अब इस मुहल्ले से हिन्दू निकाले जा रहे हैं, वह आदमी चार चार बच्चों को गोद में लिये घिरे हुए हिन्दुओं को हिफ़ाज़त की जगह ले जा रहा है, जो भीड़ आग लगाने पर तुली हुई थी, वही उन हिन्दुओं को हिफ़ाज़त की जगह पहुँचा रही हे. भीड़ में से एक आदमी, जो शायद कानपुर म॑ बाहर से आया था, एक दूसरे आदमी से पूछता है---'क्यों भाई ! यह है कौन ! बड़े जीवट का इन्सान मालूम होता है .” । “अरे इनको नहीं जानते ? यह हैं गणेश शंकर विद्यार्थी. प्रतापः अख़बार निकालते हैं और यहाँ के कांग्रेसी लीडर हैं. कम से कम




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