भारत का सांस्कृतिक इतिहास | Bharat Ka Sanskritik Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
374
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)संस्कृति 9
होती है और सस्क्ृति के अभाव में सम्यता का कोई अस्तित्व बना नहीं रह
पाता । मानव समाज की समस्त आत्मिक तथा भौतिक उपलन्धिया सम्यता तथा
सस्कृति के अतर्गत भा जाती ह ।
सस्कृति का विकास
प्रमुख रूप से सस्कृति की दो अवस्थाए सानी गयी ह--(1) प्रारभिक
(2) विकसित । प्रारभिक अवस्था को बर्बर तथा असम्य अवस्था भी कहा गया
है । जिस अवस्था मे विकसित सस्कृति के सामान्य लक्षण दृष्टिगोचर नटी होते
उस प्रारभिक अवस्था कहते है । इस अवस्था में आखेट, पशुपालन, कृषि,
पुरोहिती आदि कायं तो होते है कितु प्रशासन-ग्यवस्था, म्रथो की भाषा, गणित,
ज्योतिष तथा अन्य विज्ञान, व्यापार, वाणिज्य, उद्योग, व्यवसाय ओर उनकी
विविध गतिविधिया आदि विकसित नही होती । काम करने के विविध उप-
करणो, औजारों, हथियारों तथा दैनिक जीवन की वस्तुओ के आधार पर भी
संस्कृति की विकसित तथा प्रारभिक अवस्था का अनुमान किया जा सकता ह ।
प्रत्येक सस्कृति का विकास एक भौगोलिक तथा वाशिक वातावरण मे होता
है | इसलिए प्रत्येक सस्कृति का स्वरूप भिन्न दृष्टिगोचर होता हैँ। वास्तव मे
उनको अपनाने तथा ग्रहण करनेवाले विमिन्न मानव-वशो के समूहो की विशिष्ट
मौलिक राक्ति ही सस्कृतियो के विभिन्न स्वरूपो के निर्माण का मूर कारण ह।
इतिहासकारो का मतदहँ कि एक सस्कृतिवाले मानवो का समूह पूर्णरूप से
दुसरी सस्कृति को कभी अपना ही नही पाता । प्रत्येक मानव समूह अपने से
भिन्न सस्कृति का अनुकरण केवल बाहरी रूप मेही कर पाताहै। वहु मन्य
सस्कृतियो के आदर्शो, भावनाभो, प्रेरणाओ, विधिविधानो तथा संस्थामो को
अपनाते समय उनमे भपनी मौलिक बीजभूत प्रकृति तथा प्रवृत्ति के अनुरूप परि-
वर्तन कर लेता है ।
सस्छृतियो का सचषं, मिलन तथा आदान-प्रदान होता रहता ह । इन
प्रक्रियाजो मे कभी-कभी सस्कृतिया एकदूसरे मे विलीन होती रहती है ।
उदाहरण के लिए प्राचीन काल मे सपकं मे आने पर आर्यो की संस्कृति ने सैधव
सम्यता की छिग-पूजा तथा शिव-पूजा अपनायी । मध्य युग मे अरो की सस्कृति
ने भारतीय सस्कृति के सपक मे माने पर भारत की चिकित्सा-प्रणाली तथा
बीजगणित अपना लिये। इसी प्रकार इस्लाम के अनेक अनुयायियो ने भारत में
हिंदू सस्कृति के कुछ तत्त्वों को अपना लिया । प्राचीन मध्ययुग तथा आधुनिक
युग में सस्कृतियों को अपनानेवाले विद्याल तथा प्रख्यात राष्ट्रो और मानव
समृहो ने सस्कृति कै अगो का आदान-प्रदान सरल तथा सहज भाव से किया ह ।
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