अपरा | Apra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.72 MB
कुल पष्ठ :
190
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सोती थी,
जानें कहो कैसे प्रिय-आगमन वह *
नायक ने चूम कंपोल,
डोल उठी वल्लरी की लडी जैसे दिडोल ।
इस पर भी जांगी नही,
चुक-कझमा माँगी नही,
निद्रालस बक्मि विशाल नेत्र मूंदे रही--
'किम्वा मतबाली थी यौवन की मदिरा पिये
कौन कहें *
'तिदेंय उस नायक ने
निपट निठुराई की,
कि झोको की झडियो से
सुन्दर सुकूमार देह सारी झकझोर डाली,
मसल दिये गोरे कपोल गोल;
चोक पड़ी युवत्ती,
श्रकित चितवन मिज चारो ओर फेर,
हेर प्यारे को सेज पास
हँसी, खिली
खेल रग प्यारे संग ।
११६ ई०
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