शुद्धि और संगठन | Shuddhi Aur Sangathan
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
32
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about जनमेजय विद्यालंकार - Janmejay Vidhyalakar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)९ ९७ )
(२) उनकी बल्यै किदे खगाय अकबर तथा दाय
शिकोह जेसे सुसल्सान सी क्रिस पकार से दिलोजान से
हिम्दुधम के मोश्व को मानते थे ।
(३) चाईविरु आर रान कतै ऊरूम्नष क्ाञ१ हे प्रभाव
কী ইহা জী सत्य शास्त्रों की घेशानिफ सच्चाइयां छुना
कर उनके दिलो से निकाल द् ।
(४) क्षपने दस ओर ध्रेमपूर्ण ब्यधह्ाार से ईसाई घुसछमानों
के दिला को जीनल, ताक वे इसलाम और ईल्लाइयत के
खोखले-पने फ्ो तथा वे दिक धर्म की श्रेएता को दृदय
से स्वीकार करे |
(५) दद्ध होकर हिंदु बनने के लिये सदा उनसे प्रेमपूयंक
प्रबवद्ठ अनुरोध किया कर । |
(६ ) एवर हो शुद्ध करने की विधियां लिखी हू छन में से
किसी से ४न्दे शुद्ध करने में तमिक भी दिवकिलखाइट
व विलम्ब मव कर । विधमियों करों शद्ध करना इस समय
हमारा सदसे मुणष्य कतव्थ है ।
(७ ) शद्ध करने के पश्चात् ख़ब रोग 3४ सक्रे दाथ का बांटा
डुआ अन्न आदि खाचे | संस्कार करवाने बालो और
दशक मदाश्यों फो चाहिये कि एसके सामने हो उसकते
बंटी छुई बल्तु को अधष्य स्वा कर उसका उत्साह
बढ़ाव ।
६८ ) बष्ोपवीत को धर वीन शास्वकारों ने विद्या पढ़ने वाले
आयो का দঃ का माना है, इस लिप्रे जो शुद्ध होने
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