वियोग - कथा | Viyog Katha
श्रेणी : साहित्य / Literature

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
57
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १६ ) ~ =
(४)
लो--हे घन कै हरिण सलोने,
लो-यह ्रश्र -लङोका हार !
जहां मिले प्रियतम दे देना,
कह देना उरा उट्गार॥
(এ)
भाद्र-मास की कुह-निशा हे ।
जलद-जाल-पूरित है व्योम!
विस्तृत-विश्व विराव-हीन है
खिश घोर चहु दिशि तम-तोमा
(दि
मघोर में छिपे हण है
कलित कलाघर कुमुदिनि-कान्त
अन्धकार मे सटक रहे है,
पथ-परिश्रषए्र-पथिक-परिश्चान्तः
(७)
तो भी मार्ग न भूल इधर,
श्रा जाते मेरे प्राणाघार !
जिन्ह देख में नेत्र जुड़ाती,
पाती निस्मेल शान्ति अपार |.
জি
User Reviews
No Reviews | Add Yours...