डनबार की घाटी | Danbar Ki Ghati
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
29.5 MB
कुल पष्ठ :
610
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand) सौर बोलिये।” हैटठी ने उग्र होकर कहा--“' जिससे आपके पौने के
पहले ही उन्हें उसमें अपने मुंह की राल मिलाने को मिल जाता--है न?”
मैथ्यू ने उसकी ओर निहाग। अकेली वही उसे “डेडी” पुकारती थी।
परिवार के बाकी बच्चों के लिए वह ' पापा था और वे उसे कुछ कहने के
पहले ' महाशय” का प्रयोग करते थे । किनु उसने हैटी को वैसा नहीं सिखाया
था...वह मिन्न थी, वह से छोटी थी न! उसने बाल्टी उठाकर अपने होंठो
से लगा ली और एक प्यामे व्यक्ति के समान ही पीने लगा । उसके मुँह के
कोरों से बहता हुआ पानी उसकी कमीज को टप-टप मिगो रहा था। उसने
बाल्टी नीचे उतारी और अपने हाथ के पिछले भाग से अपना मुंह पोछु लिया ।
“यह काफी स्त्रादिष्ट पानी है, हैटी !” उसने गम्भीरतापूर्वक कहा मैं
तुम्हे इसके लिए, धन्यवाद देता हूँ ।”
वह दूसरों के पास जाने के लिए. सुडी--“ चार बजे के लगभग मे थोडा
पानी और ले आऊँंगी--” उसने कहा ।
मैथ्यू ने सिर हिला दिया। “ मेरी धारणा है, तत्र तक हम अपना काम
समाप्त कर लेगे--” उसने कहा--' इस वर्ष के लिए; फसल खड़ी करने का
काम हम समाप्त ही कर चुके हैं। अब जाओ और उन लड़कों को, इससे पहले
कि वे प्यास से जमीन पर पढ़ रहे और हल्ला मचायें, पानी पिला दो। '
वह हैरी के जाते समय उसका दुबछा-पतला झुका हुआ शरीर देखता रहा ।
पहले वह राइस को पानी देने के लिए, रुकी । उन दोनों की बनावट एक ही
किस्म की थी, एक छोटी लडकी और एक वयस्क लडका--दोनों ही कृशकाय
थे। हो सकता है, हैठी एक लम्वी लड़कं। हो जाये; लेकिन अभी कुछ नहीं
हा जा सकता ।
नाक ने ' बेढ़ंगे जान” को हल में जुता छोड़ दिया और उन लोगो में
शामिल होने के लिए उस ओर वढ़ा। जेसे जान अतिम सिरे पर अपना हल
घुमा कर वापस इसी ओर भा रहा था। मैथ्यू ने अपना हाथ मुँह पर लाकर
पोंछ डाला और अपने लिए सिगरेट बनाने लगा। उसकी आंखे अपने बच्चो
को ही निद्दार रही थीं। काम के समय वह जो थूरे रग की कमीज पहनता
था, पसीने से भीग कर वह ठंडी लग रही थी और उसकी मेंसिपेशियों
शिथिल और विश्राम की मुद्रा मे थीं। वह स्वय को स्वत्य अनुभव कर रहा था |
उसने उस खुली हवा में एक गहरी सास ली।. फसल खडी करने का समय
हमेशा अच्छा होता था। जब पहली वार खेत जोते गये और रोपनी हुईं
१३
पर
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