चिकित्सा - चन्द्रोदय | Chikitsa Chandroday
श्रेणी : विज्ञान / Science, स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
57.11 MB
कुल पष्ठ :
431
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्लास्त फाराचप्इण /०द्ला 1 कि कि दि कि व व बिना वायु के श्वांस रोग नहीं होता बिना कफ के -खॉसी नहीं होती बिना रक्त के पित्त नहीं होता और बिना वित्त के क्ञय॑ नहीं दोत। यदः सिद्धान्त है... इसे ब्रैय को. खब याद.रखना -चाहिये |... - दा ड़ न न छा खुलासा यह है कि ..बिना वायु-के. कोप किये/स्वास रोग नहीं होता बिना छाती पर कफ जमे खाँसी नही होती रक्त के बिना पित्त नहीं बढता शोर बिना पित्त के भा कै. कप धरे के कुपित हुए क्षय रोग नही होता । ७ मतलब यह है कि खाँसी के इलाज मैं वैये को करे का प्रो ध्याति रखना चाहिए क्यो कि जब तक छातीपर कंफःश्माता रहेगा खाँसी किसी देवों मैं परम ने होगी 1 यहीं वेज हैं कि जुकोमें या नजलि की खाँसी का ्याराम कंरला कठिन हो जाता है । . न जुकाम जाता है भर न खाँसी पीछा छोड़ती है । मूर्ख वैद्य खाँदी नाशार्थ गरम-सर्द दवाएं दिये जाते हैं पर .घातु की ओर ध्यान नहीं. देते . इससे उल्टी खाँसी बढ़ती रहती. है क्योंकि बिना जुकाम के मिंटे खाँसी जा नहीं श्र जुकाम बिना धातु ठीक किये आारीम हो नदी सकता । जब तिके जुकीम छाती पर कंफ जमां होता रहैगा | जब ती से कभी न जीय॑ंगी 1 खौंसी/के बहुत दिनों तक और शो जीये गे. 4. ८ फिर तोश्सोगी सूख्सख कर मर ज़ायगा..| दा खाँसी के- इलाज मूं कफ का ध्यान रखना--परमावंश्यक है / क्योकि बक़ेल- हए मुनि के. खाँसी की जड़ कफ और श्वास की जे वायु है... बहुत से अज्ञानी वेद कफ श्र वायु नाश करने के लिए .दमादंम गरम दवाएं श्रौर गरम रस दिये जाते - हैं . जिससे कफ सूख कर जम जीता है 1 उस हालत में मरीज को खौंसते समय . बड़ी तकलीफ होती हैं श्रोर हर संम्य कफ घर-घर घंस्घर किया. करतीं व्वलेततों ऐसा सूखा हुआ कफ बड़ी मुश्किलें से निकलता है जोर यदि निकलता है. /तों बड़ा ब होत्म है । गा में रोगी. को गरम दवा झोर गरम. पृरथ्य देना जफ पदक / कर मारना
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