वीर हम्मीर नाटक | Beerhamir Nataka
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
103
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)¢ क वीर हम्मीर नाटक च
नाम हमीर महारणधीर को गाथंकहों सुलहो जगमें जस।
नायक हौ अभिनायक के ममबेन परार धरो हियमानस ॥
(गाते हुये एक ओर चला जाता हैं)
सूत्रधार--( नंगे से) भद्रे ! देखा यह कोन थे: इन्हें. पहचाना
नरी--प्यारे ! ये तो कोई महान्. योगीश्वर जान पडते थे)
सूच--(पुस्तक का आदि पृष्ट देख कर) घरानने । इसपर तो शिवका
चित्र हे (अचम्भे से) झरे ! तो क्या वें स्वयं फेलाश पती शंकर
थे और यह नाटक इन््हींने लिखा है? `
नटी--(कुछ कर और पुस्तक देखकर) नाथ वारुतव में इसपर জী “লু?
छ्खाहै! `
सूच--हां प्यारी ,!! इसी से तो मुम्हे शंका है यदि यह बात
वास्तव में टीक है कि इसके रचयिता स्वयं झादि नाव्यकार
तिपुरा सुरारी जग उपकारी महांदेव हैं ? तो यह समस्त रक्खो
कि इस विचरे दीन हीन देश भारत का वर्य उद्धार होगा ।
टी--हां ! प्यारे !! अंच्छा तो-अब লাস, अवश्य इसी का अभि
नय करो ओरं देर न करो, देखो तो दशक मण्डली केसी
उत्सुकता भरी कटठात्ष कर रही हे ।
सूृत्रंधांर--अच्छा तो चलो यवं शीघ्रता करनी चाहिये ।
(दोनों गाते हैं ऑर एक ओर को चले जाते है )
लावनी
০
अब करहु वीरवर भारत् की शुभ আকা
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