चडता सूरज | Chadhta Suraj

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Chadhta Suraj by जौहर जलाली - Jauhar Jalali

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एक्खाच क श्त कायरता की बात न सोचो हिम्मत से लो काम। काम . सफल कर देगा सारे अहा ईश्वर राम ॥ तुम चाहो तो धरती उगते हीरे के अम्बार । 8 तमं चाहो तो पत्थर से भी निकले अम्नत धार ॥ | तुम चाहो तो हल बक्खर से पर्दत को सरकाओ । ~ | तुम चाहो तो घास फूस में केसर रंग रचाओ ॥ রর तुम चाहो तो ने जंगल फूलों से भर আর্থ। রর ४, # तुम चाहो तो दुख के जहरी नाग. सबही मर जार्य॥ ॐ तुम चाहो तो नदी नालो के मह फिर-फिर जयं । ध तुम चाहो तो महनत के बादल अमृत बरसायं ॥ तुम चाहो तो हर गांव बन जाये स्वग समान, सुथराई में काट के रख दो बड़े बड़ों के कान || सुन्दरता की मूरत बनजाय हर एक मकान । द लिपी पुती दीवारें घर की सजा हुआ सामान ॥ घर घर चेन की बंसी बाजे खेत खड़े लहलायें। लहक उठे मेहनत की बगिया भूम उठें आशाये ॥ ॐ { ‰ $ 2 ॐ | জন তু > मे ९२ ধু ৮ আছি খা রঙ 3৯ (3 +. 4 श ©: <~ + ९५ ५ টিন পি दर > ১০ प ৪ है; आठ है ह॥ » ५ ক ৪৫ ३5 हट ৬. इ * स~ ~ 4 हम चाहो तो गांव तुम्हारे शरं को शरमाये। देखने वाले देख देख कर हैरत में रह जायें ॥ तुम भारत- के रखवाले हो तुम भारत की शान । देश की सुन्दरता है तुमसे तुम मज़दर किसान ॥ ५ द & >» ४ $ है कई हा कक ॐ इ ক ১8২৮৬: ~ ~^ ५५




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