हिंदुस्तानी | Hindustani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कवार स इब को साखी [ ०9 अर्थात्‌ निवर एवं निष्कास रह कर परमात्मा सं प्रम करता ओर सांसारिक विप्यो से निलिप्र रहना, यही लक्षण संतो के हैं। ऐसी दशा में जन को संख्या को निश्चित कर देना केवल अनुमान मात्र पर ही आश्रित कहा जा सकता है | 2४ वाली संख्या, संभव है, 'बीजक' की ८४ रमैनियों के अनुसार भी निर्वारित को गई हो अथबा इन दोनों में ८9, चोरासो लाख योमि या अन्य किसी ऐसे संकेन के विचार से, सान लिया गया हो । जा हा, कबीर गंथावल्ली' के अंतर्गत आई हुई साखियों को बतमान ख्िति में उन के अंगों के अनुसार हम निम्नलिखित आठ शोष॑कों के भीतर ला मकम हैं ;--- ( १ ) नियम--१४ सन की अंग, १६ साया को अंग, ४६ काल को अंग ओर ८८ बली कौ अंग; (२) मानवी स्वभाव--१७ चाक कौ अंग, २० कामी नर को अंग, २५ कुसंगति की अंग, ३९५ कुसबद को अंग, ४८ अपारिष की अंग, ५३ कस्तुरिया संग को अंग, ५४ निद्या को अंग ओर निगु कौ अंग; (३ ) पार्खंड- - १८ करणी बिना कथनी को अंग, १९ कथनी विना कर्णी को अंग, २२५ साथ को अंग २३ श्रम विसीधण को अंग, ९४ ঈদ জী अंग, २७ साध कौ अंग और ४२ चित कपटी को अंग; ( ४ ) गुरुदेव--१ गुरदेव को अंग ओर ४३ गशुर सीप हेरा নী श्ण; र (५) परमा्म-परिचय--५ परवा कौ श्र॑ग, ७ लांवि की अंग, ८ जयणा को अंग, ९ हैरान को अंग, १४ सूपिस मारग को अंग, १५ सूषिम जनम को अंग, ३३ विचार कौ अंग, ३६ पीव पिछांणन को अंग, ০০




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