दयानन्द लीला | Dayanand Leela
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
439 KB
कुल पष्ठ :
22
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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ज्ञान | शास्त्र चिरुद्ध भत्यक्ष डी लिया उन्होंने मान ॥ निद्रा
आलख्य दूर चोय साज्ज नका फल यह माना है। कफ पिच्तकी
शान्तिं करता है आाचमनका शुण ये जाना है ॥ दो काल होम
जो करते हैं होती है वायु छुद्ध | ये कथन उुरूका तेरे मित्र है
निश्चय शास्र चिरुद्ध ॥ स्वामीजीके निज शिष्योसे सब चर्म
कर्म छुड चना है। होजाय अरूनच्चि इन वानों में इससे यही डाक
चजॉना है ॥३८॥ दयानन्द्का लेख है तू निश्चय कर जान ! सनी
पुरुषोंके लिये है यद्दी धर्म घ्रमान ॥ छिज् कुलके स्री और पुरुष
चस হলি আহ্ चिचाद् करे} मरजष्य पति मथवा पललीते
किर न विवाद की चाह करें ॥ क्यों करें समाजी पुनर्थियाद्
जे ये ঈল্ विरुद्ध । जोमें स्थात अपने जानते हों ग़ुरुजीका लेस्त
अशुद्ध ॥-ये छेश्ग द्वथा भ्हूठो बातोंसे औरोंकों गुमराद्व करें |
अन्थोंमें अपने लिखा है जे उसके चिरुद्ध उत्साद्ट करें ॥३६॥
अध्ष् नदी पर्चत अददी दछश्चादिक पर नाम । ऐसी कन्यास्ते नदी
उचित विचाइका काम ॥ ये लिखा तुस्दारे सामीने तुम सम्यक
इसपर धयान करा 1 चरके देसी. कन्यार्मोक्का मत शुरुज़ीका
अपमान करे ॥ जे लिखा दा ऐसा वेदोर्मेते करान चेद्
विरुद्ध 1-ये लिखा नदीं है वदां कदी जाने सत्यार्थ अशुद्ध ।॥
पढ़के सत्यार्थ समीक्षा के रुरू स्ररडनका सामान करों । हैं
दवित्तकी .कदूत्ता हें छुमसे अब दुरए अपना अज्ञान करों ॥ तुम द- *
यूपनन्द के गोतों पर আজ मृत इतना अभिमान करो | खुलंगई'
छोखश्ती.पोख चथा स्वर तार चिना कयो गान के ६ मत श
करो नाद्दानोक्रो.दतना-दम पर अष्टसखान करो {-क्छ' चात करोः
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