दयानन्द लीला | Dayanand Leela

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Dayanand Leela by लाला जगन्नाथ जी - Lala Jagnnath Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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{ ९ ) 4 ~~ ~ - ----------- ---~ ज्ञान | शास्त्र चिरुद्ध भत्यक्ष डी लिया उन्होंने मान ॥ निद्रा आलख्य दूर चोय साज्ज नका फल यह माना है। कफ पिच्तकी शान्तिं करता है आाचमनका शुण ये जाना है ॥ दो काल होम जो करते हैं होती है वायु छुद्ध | ये कथन उुरूका तेरे मित्र है निश्चय शास्र चिरुद्ध ॥ स्वामीजीके निज शिष्योसे सब चर्म कर्म छुड चना है। होजाय अरूनच्चि इन वानों में इससे यही डाक चजॉना है ॥३८॥ दयानन्द्का लेख है तू निश्चय कर जान ! सनी पुरुषोंके लिये है यद्दी धर्म घ्रमान ॥ छिज् कुलके स्री और पुरुष चस হলি আহ্‌ चिचाद्‌ करे} मरजष्य पति मथवा पललीते किर न विवाद की चाह करें ॥ क्‍यों करें समाजी पुनर्थियाद् जे ये ঈল্‌ विरुद्ध । जोमें स्थात अपने जानते हों ग़ुरुजीका लेस्त अशुद्ध ॥-ये छेश्ग द्वथा भ्हूठो बातोंसे औरोंकों गुमराद्व करें | अन्थोंमें अपने लिखा है जे उसके चिरुद्ध उत्साद्ट करें ॥३६॥ अध्ष् नदी पर्चत अददी दछश्चादिक पर नाम । ऐसी कन्यास्ते नदी उचित विचाइका काम ॥ ये लिखा तुस्दारे सामीने तुम सम्यक इसपर धयान करा 1 चरके देसी. कन्यार्मोक्का मत शुरुज़ीका अपमान करे ॥ जे लिखा दा ऐसा वेदोर्मेते करान चेद्‌ विरुद्ध 1-ये लिखा नदीं है वदां कदी जाने सत्यार्थ अशुद्ध ।॥ पढ़के सत्यार्थ समीक्षा के रुरू स्ररडनका सामान करों । हैं दवित्तकी .कदूत्ता हें छुमसे अब दुरए अपना अज्ञान करों ॥ तुम द- * यूपनन्द के गोतों पर আজ मृत इतना अभिमान करो | खुलंगई' छोखश्ती.पोख चथा स्वर तार चिना कयो गान के ६ मत श करो नाद्दानोक्रो.दतना-दम पर अष्टसखान करो {-क्छ' चात करोः




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