व्यवसाय संगठन और प्रबन्ध | Vyavsay Sangthan Aur Prabandh

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Vyavsay Sangthan Aur Prabandh by मेहरचंद शुक्ल - Meharchand Shukl

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बाशिज्य तथा उद्योग का विकास श्र उन्ताद (१(७5६९18), कारीगर (उ0प716एफ&७7 ) तथा नवसिखुए (4১07১- £961085) । नवसिखुआ लटका या युवक होता था जो काम सीखता था জাত সা सपमे उस्ताद के परिवार के साय रहता था और बदले में अपने उस्ताद की जो सहायता कर सकता था, करता था $ उस कुछ मजदूरी मिल जाती थी । नवसिखुआ अवधि के बीत जाने के बाद, जा प्राय सात वर्षों क, होती थी, वह युवा आदमी कारोगर हो जाता था यानौ एक मझमथमील श्रमजोव जो मद्री के लिए अपने शिल्प-सम्वन्धी कार्य करवा था, और अन्त में जब वह इतने पैसे इकट्ठा कर छेता जो उसे जपना कारखाना खोलने योग्य बना सकता और वह मनचाही जगह म कारखाना खोलने के लिए अपने साथी श्रमजीवियो के सघ (6पणा110) की अनुमति पा लेता तब वह उस्ताद हो जाता था । उस्ताद श्रमजीवी अपने परिवार के सदस्था वी सहायता और प्राय एक था दो कारोगर तथा एक या दो नवसिल्ुओं की मद्ायता पाकर उस विशेष गिरोह का रूप घारण कर छेता था जिसका चलने मध्य युगा में था। सिद्धान्तव एक मिरोह के समी सदस्य एक हो स्थान पर रहते थे, जिसमें निवास करने का स्थान ऊपरी मजिल पर होता था और नीचे की मजिल म व्यवसाय होता था जिसमे कम करने के कमरे (कार्य-क्क्ष) पीछे हातें थे और विक्रवक्‍क्ष सामने । हस्तशित्पय সাজ ( লুজ 3৯6৪০) ক यनन्‍्तर्गत उद्योग मूलत वेयक्तिक कोरिकाटोताथाजो आयज कौ पूजोवादीप्रणालो कौ तर्ट सयुक्त प्रयत्नो पर निर्भर नहीं था ! जब सथ्र का चरपोत्केप था तो वह बहुत ही उपयागी था तथा अनेक तरह के उद्यो कौ पूनि करना था { वह्‌ जपने सदस्यः क आधिक বিন की रक्षा करता था; बह श्रमजीवियों के लिए प्रादिधिक হাহা (0601001021 [000 ) की व्यवस्था करता था, वह লিনিলি (00000601106) না मानदड ऊचा रखता था तया वैयक्तिक हितो को समाज-कल्थाण के मातहत बनादा था। लेकिन इममें कोई अमुविधा नहीं हो, ऐसी बात नही हूँ । इसका निहित सिद्धान्त एकाधिकार था; इसके क्ठार निप्म साहस या उद्यम को दबाते थे, यह मजदूरों को निम्न करता था, यह उस प्रकार के औद्योगिक सगठन को बढाता था जो मध्य श्रेणी का ही उत्पादन कर सकता 1 पटवो यत्ाव्दौ कै अन्त तक परित्याय प्रधान नोति (लद्टीपड०ता- 180 07८9) के अपनाये जाने तया परिणामत- प्रतिहन्द्री सेवक (৪0106) या कारीगर सप ( 00121551580 @प्ाद्‌ } के जन्म कै कारण यट प्रणाली क्षयग्रस्तर होने लगी । पूजीवाद की वृद्धि तथा उद्योग में पूजी के बढ़ते हुए प्रयोग ने भो जिसका परिणाम, उद्योग वितरण के मौगोलिक परिवर्तेन में हुआ, सघों के ह्वाम में योगदान दिया । মূসা ( 100065६० 555६6४ )--सध प्रणाली वे पतन के साथ एक नई कोटि के सगठत का छदमव हुजा जिसका नाम था ग्ृह-प्रणाली । सघ- प्रणारी के अन्चर्गव उस्ताद शिली अपना कच्चा माल खरीदता था, उसे अपने ही कारखाने में अपने परिवार तथा नियुक्तों (2व्ाछॉ०ए2८९३) की सहायता से




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