श्रावकाचार संग्रह | Shraavkachar Sangrah
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
34 MB
कुल पष्ठ :
653
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१८ श्रावकाचार-संग्रह
सागार और अत्तगार धर्मका निर्देश
उपवृंहण अंगका वर्णन
स्थितिकरण अंगका स्वरूप
वात्सल्य अंगका वर्णन
प्रभावना अंगका वर्णन
श्रावकव्रततोके धारण करने योग्य पुरुपका निरूपण
यद्यपि सम्यवत्वी पुरुषका ब्रत-ग्रहण मोक्षके लिए होता है, तथापि सम्यवत्वी,
मिथ्यात्वी, भव्य और अभव्यको भी ब्रत्त धारण करनेका उपदेश
पुण्य क्रियाओंके करनेका उपदेश
भणुब्रत्त और महाब्रतका स्वरूप
हिसा पापका निरूपण
एकेन्द्रियादि जीवोंका विस्तृत विवेचन
प्रमत्तयोगी सदा हिसक है, अप्रमत्तयोगी नहीं
अणुक्नतधा रीको चर्साहसावाली क्रियाओंका त्याग आवश्यक है
ब्रतके यम और नियम रूप भेदोंका वर्णन
महारम्भ रूप कृषि, वाणिज्य भादि कायंकि त्यागका उपदे
ब्रतरक्षार्थ भावनाओंके करनेका उपदेश
श्रावककी यथासम्भव ईर्या आदि समित्तियोंके पालन करनेका उपदेश
भोजनके समय श्रावकको हिंसा पापकी निवृत्तिके लिए यथासम्भव
अन्तरायोंके पालन करनेका तथा द्विदल अन्न आदि खानेका निर्षेघ
एपणाशुद्धिके लिए सृतक-पातक आदि पालनकां निर्देश
सदहिसाणुक्रतके अत्तिचारोका निरूपण
सत्याणुव्रतका निरूपण
सत्यत्रतकी भावनार्गोका निरूपण
सल्याणुव्र्तके मत्तिचारोका निरूपण
अचौर्याणुन्नतके स्वरूपका वर्णन
अचौर्याणुत्रतकी भावनाओंका निरूपणं
सचौर्याणुत्रतके जतिचारोका निरूपण
बरह्मचर्याणुव्रतका निरूपण
ब्रह्प्वर्याणुत्रतकौ भावनारगोका वर्णन
ब्रह्म वर्याणुव्रतके अत्तिचार
परिग्रहुपरिमाण जणुब्रतका स्वरूप
परिग्रहपरिमाण त्रतकी भावनाभोका निरूपण
परिग्रहपरिमाण ब्रतके अत्तिचारोका वर्णन
दिग्विरति गुण ब्रतका वर्णन
दिग्विरति गुणब्रतके अत्तिचार
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