जैन धर्म की मौलिक उद्भावनाएँ | Jain Dharm Ki Maulik Udbhavnayein

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Jain Dharm Ki Maulik Udbhavnayein  by पुरुषोत्तम चन्द्र जैन - Purushottam Chandra jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२ जैन धर्म की मौलिक उद्भावनाएँ किसी चस्तु को एकान्त रूप से सत्‌ माना जा सकता है और न ही एकान्त रूप से श्रसत्‌ ही ! वस्तु न तो एकान्त रूप से सत्‌ और असत्‌ ही है, और नही एकान्त रूप से सत्‌ श्री र असत्‌ दोनो से अनिर्वेचनीय है । प्रत्येक वस्तु के अनेक धर्मात्मक होने के कारण उसे ऐकान्तिक दृष्टि से नही देखा जा सकता। जैन दर्शन का यह विशिष्ट दृष्टिकोण अ्रधिक युक्तिसगत, मौलिक श्रौर वैज्ञानिक है, उपर्युक्त चार दार्शनिक पक्षो से । जैन दर्शन मे द्रव्य और तत्व एकार्थवाचरी है। जैन दर्शन मे जीव, श्रजीव, पुण्य, पाप, आाखत्रव, सवर, निर्जरा, वन्‍्ध और मोक्ष--ये तव तत्व माने गये है । जीव द्रव्य की व्याख्या मे जीवकी गराना द्रव्य भौर तत्व दोनो मे की गई है । ससारी जीव को जैन दर्शन मे देह प्रमाण स्वीकार किया गया है 1 ऐसी मान्यता भारत के किसी श्रन्‍्य दर्शन की नही । यह केवल जैन धर्म की मौलिक उद्‌भावना है । इसके श्रतिरिक्त पृथ्वी, श्रपू्‌, तेजस्‌ आदि द्रव्यो मे वशेषिकादि दर्शन भिन्‍त-भिन्‍्त प्रकार के परमाणुओओे की सत्ता मानते हैं। इसके विपरीत जैन दर्शन की मान्यता है कि पुद्गल के पृथक्‌-पृथक्‌ परमाणु नही होते । सभी परमाणुश्रो मे रूप, गन्ध, रस, श्रौ र स्पदं की योग्यता विद्यमान रहती है । जैन दशंन मे यद्यपि परमाणुभ्नो कौ अनेक जातिया है तथापि सभी परमाणुओ मे अपने-अपने वण, रस, गन्ध ओर स्पा की स्थिरता है | जैन दशा त में परमाणु की एक ही जाति स्वीकार की गई है | एक द्रव्य के परमाणु मे दूसरे द्रव्य मे परिणत होने की सत्ता होती है। उदाहरण के लिए पानी का परमाणु अग्नि के परमाणु में परिवर्तित होता देखा जाता है । जैन दर्शन का यह तात्विक विवेचन वर्तमान विज्ञान की आधार शिला पर खरा उतरने के कारण मौलिक है और विशिष्ट है | ज्ञान के क्षेत्र मे भारत के अन्य ददन इन्द्रिय जन्य ज्ञान को प्रत्यक्ष मानते है । इसके विपरीत जैन दर्शन इन्द्रियो की सहायता से उत्पन्त होने वाले ज्ञान को प्रत्यक्ष न सानकर सीधे आत्मा से उत्पन्न ज्ञात को ही प्रत्यक्ष रूप मे स्वीकार करता है। पौद्गलिक वस्तुश्मौ का হাল जो कि इन्द्रियो की सहायता से होता है, उसे इन्द्रिय भत्यल्‌ की सज्ञा से प्रत्यक्ष-ज्ञान भी माना गया है और अपौद्गलिक वस्तुओ काज्ञान जो




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