स्वास्थ्य - शिक्षा | Swasthya - Shiksha

Swasthya - Shiksha by कविराज हरनामदास - Kaviraj Harnamadas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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स्वास्थ्य-शिक्षा सदा स्वास्थ्य का एक रहस्य कद सेहत मरीज से पूछो तन्दुरुस्ती हजार न्यामत हे। में घ्रायः रोगियों से घिरा रहता हूँ। सेरे कानों में प्रतिदिन रोगियों के दुःख दूदे के किस्से पड़ते रहते हैं । रोगी की द्देभरी कहानी उसकी पल पल बढ़ती हुई परेशानी उसके परिचारकों की बेचेनी उसके बच्चों के सहसे हुए चेहरे घधड़कते हुए दिल उन सबकी चिन्ता मोर लाचारी उनका बार बार अत्यन्त करुख स्वर सें पूछना- क्यों कविराज जी | आपने क्या देखा है? आपने क्या समभा है ? क्या यह रोगी अच्छा हो जायगा ? इस जीवन श्र सृत्यु की खेंचतान को देख कर कोन पत्थर दिल होगा जो न पसीजेगा । में पाठकों से छिपाना नहीं चाहता अनेक बार ऐसा दृश्य देखकर मेरा दिल भर आया आंखों सें ांसू आ गये रोगी और उसके परिजनों से नज़र बचा कर में किसी बहाने दूसरे कमरे में चला गया सुँह घोकर और दिल को सजबूत करके फिर लौट या । रोगी को बिदा करते ही मेंने नेक बार -दिल में कहा-- सेरी भी ऐसी दशा हो सकती है मेरे बच्चों को सी




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