नवकार सवरूप | Navkar Savroop

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Navkar Savroop by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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है २००८ थ्रा० सु० शनि दा खुद सब आ्वरों से धर्मलाम माप हो-- १ नौकार के चौद धृरनो सार किस तरेसे ! चौदे पुर्पघरोजे ये नौदार ने अंत सयभू मल्या ते निमोद मा गया। आचार्य पण अत स्ये नौर्‌ वर्या दे, उपाध्याय पणये नौकार सममे सेतर्याछ, साघु म अदी दीप मां है सो नौझार वरेंगे और देशवरति सब ममकिव थारी नौकार मत्रके स्मरण से अति आधर फे है । तियैच पण अत घमये नौ कार गुणने से सड्गती गये हैं वाह्ते यह दय-चौद पुर्वका মা ই মহা মক २ प्रश्न नौफार के वाच पदोंका रग न्‍्यारा २ क्यू ? आराधक जमो फ सुरमता छीये अरिदव श्ुकर ध्यान से केवर शान प्राप्त कीया वास्ते श्वेत वर्ण कहा है । सिद्धके जीरोंने फर्म इघन जला दिये छाल अगर समान छालबर्ण आचायेनि फर्म जितने कै केरिया किपा टय पीतवर्ण उपाध्यायने पढनेवाले साधु समुदाय एक बगीचा रूपको। স্বাদ অন্য सिंचने से हरा पनाते है। ४ इ्यवर्ण है । साधु सर्व मोक्ष को साधते तपस्या से कर्म फ्ो कोलसे कर दिये श्याप्रवर्ण साघुका यद्द सर अपेक्षीक है। साधऊजी के मुलभवता के लिये । ३ प्रइन उपधान हपकी शक्राका उचर । २४ तीर्थट्टर में से आदि दीर्थ्वर चरम तीर्थ्षर के समयके औीयोंको विशेष क्रिया निवेदन करी है। सो कल्प उत्में अधिकार आता है। पप्रतिर डे




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