हंसा मोती चून | Hansa Moti Chun

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Hansa Moti Chun by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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धूल चढी हुई थी। घर घर मे यही चर्चाहोती है फोन पर भी यही बात्त होती है। रात को 1-2 बजे तक उत्तर खोजनेमे लगे रहते है | राचमुच लागो का समय धर्म ध्यान में व्यतीत होता है॥ विगत चातुर्मास चैन्नाई आदोनी हैदराबाद मुम्बई इन्दौर ब्यावर दिल्ली क्षेत्रे मे प्रश्य पेपर निकाले गये। लोगो की जिज्ञासा मुझे पुस्तक लिखने के लिए प्रेरणा दी। इसी प्रेरणा का मूर्त रूप है “हसा मोती चून'। इस कृति क अन्तर्गत आगम तत्त्व दर्शन, कर्मवाद इतिहास व्यवहारिक ज्ञान सामान्य ज्ञान सम्बन्धी प्रश्न सग्रहित किये गये है इसमे जीवन्त स्पर्श है परमात्मा के आचार विचार और दर्शन का जो युग के साथ जीवन जीता है युग की समस्याओ मे जीता है: उन्हें समाधान देती है यह कृति। यह सच्चाई का विम्ब है। हम इसे पढे देखें चिन्तन मनन करे | समस्याओं का समाधाना करके जन्म मरण दु ख शोकः की मयकर व्याधि से मुक्त बेन कर निजत्व कौ प्राप्त करे । प्ररमात्मा श्री जिनेश्वर देव देवाधिदेव की अनुपम्‌ कृपा ओर गुरुदेवो का दिव्य आशीर्वाद है । परम पूज्य युग प्रमावक प्रज्ञा पुरुष आचार्य श्री जिन कान्ति सागरसूरिश्वरजी मण्सा क अनत उपकारो को कभी भूला नहीं सकती। मेर शासन प्रभावना के कार्यों मे आप श्री की अदृश्य कृपा का सबल सदैव मेरे साथ रहा ओर रहेगा जिन शासन के महान चमकते सितारे शात प्रशात हृदय के धनी अक्षय ज्ञानं पुज परमं पूज्य गणिवर्य श्री मणिप्रम सागर जी मण्स० एव प पू० वरिमालाणी उद्धारिका मम जीवन दीपं वात्सल्य वारिधि, श्रद्धेया गुरुवर्या श्री सुलोचना श्री जीन्मण्सा की सबल प्रेरणा एव शुभ आशीर्वाद का सुफ़त हे यह कृति} एव पूज्या श्री का समय समय पर मार्गं दर्शन व लेखन मे सतत प्रेरणा स्रोत इसी प्रकार बना रहे। यह सब मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है। आप मेरी ससारी प्रिय दीदी भी है। रक्त के प्रत्येक बूदमे वात्सल्य भाव निहित हे । मेरी प्रिय मगिनी परम सयोगी प्रीति सुघाश्रीजी एव मेरे सत्तकार्यो म सत्तत्‌ सहायक ओर मेरे साथ साया वनकर रहने चाले परीत्तियशाश्रीली आदि साध्वी मडल को भी मूला नही सकती । मेरे सहायक




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