पाहुड दोहा | Pahuddoha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
188
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ग्रंथ का नाम १३
नदी है | किन्तु मेरा ऐसा ध्यान द्वै कि अधिकांश ग्रंथ के दोषों
का पाठ असंदिग्ध रूप से इस संस्करण में निश्चित द्वो गया है ।
जैसा कि आगे चछकर बतलाया जायगा, इस प्र॑य के अनेक
दोहे परमात्मप्रकाश में व कुछ दोहे योगसार तथा द्वेमचन्द्र कृत
प्रकत व्याकरण मे सञ्च मिरे है । किन्तु इन प्रथो के पाठभेद अकिंत
ग
नही किय गये । आवश्यकतानुसार उन पाठभेदों का टिप्पणी में
उपयोग किया है ।
२, ग्रन्थ का नाम
इस अ्थ के नाम के साथ जो दोहा शब्द लगा है वह
उसके छंद का बोघक है | जैनियों ने पाहुड शब्द का प्रयोग
किसी विशेष विषय के प्रतिपादक ग्रंथ के अथ में किया है।
उन्दकुन्दाचाय के प्रायः सभी ग्रन्थ “ पाहुड” कहलाते है, यथा
समयसारपाहुड, प्रवचनसारपाहुड,. भावपाहुड, . बोधपाहुड
इत्यादि । गोम्मठसार जावकाण्ड कौ ३४१ बी गाथा में इस शब्द
का अथं अविकार बतझाया गया है ‹ अहियासे पाहुडयं ' । उद
ग्रंथ में आगे समस्त श्रतक्ञान को पाहद कदा है। इससे विदित
होता है के धामिक सिद्धान्त-संम्रह को पाहृड कति ये । पाड
का संस्कृत रूपान्तर प्राव्त किया जता हे जिसका अथ उपृद्कार
है | इसके अनुसार हम वर्तमान प्रंयके नाम का अथ दोह्या का
उपहार! ऐसा के सकते है|
User Reviews
No Reviews | Add Yours...