राकेट एक परिचय | Rocket Ek Parichay

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Rocket Ek Parichay by मनीश चन्द्र उत्तम - Manish Chandra Uttam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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2 राकेट का इतिहास राके की तकनीकी बातों को समझने के पहले क्या तुम इसकी ऐतिहासिक कहानी जानना नहीं चाहोगे ? तो आओ, अब हम तुम्हें इसकी पुरानी गाथा सुनाएँ। राकेट का इतिहास बहुत पुराना है किन्तु इसका उपयोग आतिशबाजी में आज भी हमें देखने को मिलता है। संभवतः आतिशबाजी के राकेटों का निर्माण करने वाले राकेट के प्राथमिक नियमों से अनभिज्ञ थे, किन्तु वषो से प्राप्त अनुभव के द्वारा इन्होंने आतिशबाजी के राकेटों में बहुत सुधार किया है। अतः इन रकेरों की सफलता मेँ अब कोई सन्देह नहीं है। आधुनिक राकेट का प्रभावपूर्ण विकास पिछले कुछ ही दशकों में,हुआ है यद्यपि इसका उपयोग आतिशबाजी में और युद्ध में अस्त्र-शस्त्र के रूप में आज से कई शताब्दी पूर्व ही प्रारम्भ हो चुका था। इतिहास के पन्नों में राकेट से संबंधित बहुत कुछ लिखी हुई सामग्री भी प्राप्त होती है। सर्वप्रथम हमें चीन के प्रमाण पत्रों में, बारहवीं शताब्दी में अग्नि-शस्त्र के उपयोग का वर्णन मिलता है। इनमें से एक को आग का उड़ता हुआ बाण (400৭ 01 চ10115 शा) कहा गया है। संभवतः यह आज के आतिशबाजी रकेट जैसा बाण से संलग्न एक नली का बना था जिसके अन्दर कोयला, गंधक और शोरे का मिश्रण भरा था। बाण, जिसे चित्र 1 में देखा जा सकता है, राकेट की उड़ान में संतुलन लाता है। चीन से ऱकेट का ज्ञान यूरोपीय देशों में पहुँचा, जहाँ पर इसका उपयोग युद्ध में सीमित मात्रा में किया गया। | उस समय से लेकर लगभग अठारहवीं शताब्दी तक राकेट विज्ञान की उन्नति ना के बराबर




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