मेरी श्रेष्ठ कविताएँ | Meri Shrestha Kavitayen

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Meri Shrestha Kavitayen by श्री सुमित्रानंदन पन्त - Sri Sumitranandan Pant

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आगाही द मालिन बीकानेर की ००९ रुपेया वर्षाप्मंगल তি राध्ट्र-पिता के समक्ष হি आजादी के चौदह वर्ष ध्वस्त पोत स्वाध्याय कक्ष मे वसंत कलश ओर नींव का पत्थर दैत्य की देन बुद्ध के साथ एक शाम पानी-मरा मोती : आग-मरा आदमी तीसरा हाथ ह दो चित्र मरण काने 1962-1963 की रचनाएं सुर समर करनी करहि गांधी युग-पंक : युग-ताप गत्यवरोध दब्द-शर लेखनी का, इशारा विभाजितों के प्रति भिगाए जा रे दिये की माँग दो बजनिए है आहार खून के छापे बहुत दिन बीते कोयल : कैक्टस : कविं भ बाढ़ 16 : मेरी श्लेष्ठ कविताएं उधरहिं अन्त न होइ निबा ह कक 358 360 361 362 365 369 370 374 3278 379 381 383 385 386 387 389 391 393 394 396 398 400 402 403 404 406 408 412 4৩




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