भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद द्वारा दिए गये महत्वपूर्ण भाषण | Bharat Ke Rashtrapati Dr. Rajendra Prasad Dwara Diye Gye
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
58.05 MB
कुल पष्ठ :
343
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हद
आदमी तक पहुंचाना झ्रासान . होना चाहिए भर में चाहूंगा, कि इसी तरह से
यह काम किया जाए । जहां पुस्तकों श्रौर लाइब्रेरियों की सहायता मिल सकती
है में समझता हूं केवल पढ़े-लिखे लोग जो श्रच्छा ज्ञान रखते हैं जो पढ़ना-लिखना
जानते हैं उनको उनसे मदद लेनी चाहिए ऐसा प्रबन्ध हो श्रौर खोज की मदद से
आर अन्य प्रकार से जो शिक्षा मिल सकती है. वह शिक्षित लोगों को दी
जाए । इसका रास्ता आसानी से निकल सकता है । गांव में जॉ' समाचार-पत्र
आते हैं वह गांव के लोग इकट्ठे हो कर समाचार-पत्र पढ़ें श्रौर जो नहीं पढ़
सकते हैं वह सुन लें श्रौर इस तरह से उसको जान लें । इसी तरह से मामूली
पुस्तकों को जो लोग दूसरों को पढ़कर सुना सकते हैं सुनाएं । जो पुराण की बातें
सुन लिया करते हैं भ्रौर समझ सकते हैं तो कोई कारण नहीं कि मामूली ऐतिहासिक
घटनाओं श्रौर सामाजिक बातों को वे क्यों नहीं समझ सकते हैं । सवाल यह है कि
_ जो साधन उपलब्ध हैं उनको श्रपनाया जाए श्रौर इस दिशा में भी हमको काम
करना है । मुझे बड़ी खुशी हुई है कि मैं श्रापके यहां श्राया । मैंने समझा कि.
मुझे मौका मिलेगा कि मैं इस बात का निवेदन कर सकूंगा कि साक्षरता पर
जितना हो सकता है ज़ोर दिया जाए । गवर्नेमेन्ट भी मदद दे सकती है गवर्नमेन्ट
की मदद की जहां ज़रूरत हो गवर्नमेन्ट ज़रूर दे मगर साथ निरक्षर श्रौर अनपढ़
लोग भी कुछ सीख सकते हैं यह काम श्राप कर सकते हैं। 2
मुझे खुशी है कि आपने मुझे यह मौका दिया कि मैं चन्द शब्द कहू सका ।
बन शब्दों के साथ मैं इस शिक्षण सप्ताह का उद्घाटन करता हूं ।
हे न शी
लि. 2 गुल,
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