हिन्दी, वालो सावधान ! | Hindi Valo Sawdhan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
342
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)६६ हिन्दी की अपनी समस्या
उल्टे हिन्दुस्तानी के नाते उदु श्रौर उदू लिगि का युक्र-पास्त पर उतना हौ
अधिकार हो गया जितना हिन्दी ओर देवनागरी का, और यह कहने की
गुजाइश ओर यह बतलाने का साधन भी न रहा कि युक्त-प्रान्त में इतनों की
मात-भापा हिन्दी है ओर केबल इतने अपनी मातृ-भाषा उदूं बतातें हैं । सब
प्रकार से हिन्दी की घोर हानि हुई, ओर इसी कारण मुतलमान तदेदिल से
युक्त-प्रान्त की मापा को हिन्दी! के बजाय “हिन्दुस्तानी? कहे जाने के साथ हैं ।
हिन्दी की रक्ता के निमित्त इन बतो की त्रावश्यकता हैः-
প্লে) स्पष्ट घोषणा की नाय ओर प्रचार किया जाय कि १. युक्त-पान्त
की प्रादेशिक या देशज भाषा अर्थात् मात-मापा हिन्दी है, (हिन्दुस्तानी? नहीं,
क्योंकि यहाँ की विभिन्न जनपदीय बोलियाँ हिन्दी मापा की बोलियाँ हैं।
हिन्दुस्तानी या खड़ी बोली स्वयं हिन्दी की एक बोली है जो युकत-प्रान्त के
एक डेढ़ ज़िले में बोली जाती है, इसलिये युकत-प्रान्त की भाषा का नाम
“हिन्दुस्तानी? कदापि नहीं हो सकता। 'लेंगुएज सरवे आफ इन्डियां
मे य॒क्त-पन्त की माषा को हिन्दी! ही बताया गया है और यही नाम
ग्रब तक बराबर जन-गणना की रिपोर्ट में प्रयुक्त होता आया है ; २, युक्त-
प्रान्त विशुद्ध हिन्दी प्रानंध है, ओर यहाँ की जनता की सात-भापरा ओर बोल-
चाल की भाषा हिन्दी है, 'हिन्दुस्तानं!! नहीं, इसलिये यहाँ हिन्दी का ही
एकाधिकार हो सकता हे। उदू किसी प्रदेश को जन-माषरा या मात-मापा
नहीं | बह एक साहित्यिक भाषा है, और युक्त प्रान्त में उदू पढ़ने पढ़ाने ক্স
उसमें काम करने की छूट उसी हृद तक और उसी ग्रकार दी जा सकती है.
जिस प्रकार किसी अन्य साहित्यिक भाषा जेसे अगरेज़ी, बंगला, इत्यादि में; ३.
साहित्यिक दृष्टि से भी झाधुनिक, साहित्यिक खड़ी बोली हिन्दी दी युक्त प्रान्त
की साहित्यिक भाषा हो रुकती है, क्योंकि यहाँ की विभिन्न নীজিশী के
साहित्यि की ओर लोक-साहित्य की आशुनिक हिन्दी साहित्य से एका-कारतो
ओर एकरूपता है, उदू साहित्य या किसी हिन्दुस्तानी साहित्य से नहीं।
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