मूल्य और पूँजी | Mulya Aur Poonji
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
46 MB
कुल पष्ठ :
395
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८ मूल्य और पूंजी
यह् समन्न ठेना चाहिए किं इस सादगी के मूल्य स्वरूप संघान्तिक अर्थशास्त्री
निश्चित रूप से यह कहने में असमर्थ हो जाता है कि कोई अवसर अथवा उसके
द्वारा भांपा गया खतरा किसी तिथि विशेष पर वास्तविक संसार में विद्यमान होगा,
अथवा नहीं। वह इसकों एक अहूग शोध का विषय मानने को নাল होता है ।
परन्तु वह अन्य शोधकर्त्ता को कम से कम कुछ ऐसी बातें बता सकेगा जिनकी ओर
उसे ध्यान देना चाहिए।
१. मेरी रीति का एक विशुद्ध गणितात्मक विवरण (कम-से कम जहाँ तक यह मूल्य सिद्धांत
में लागू होती है) फ्रांसीसी मापा में आरा चुका है-थिग्न॑री मैथेमिटिक द ला बेल्यु (पेरिस, हरमन)
२. मार्शल कृत प्रिंसिपल्स, प्रथम संस्करण की भूमिका |
३. चरों और समीकरणों की केवल गिनती कर लेना मी, यदि वह घिधघिपूर्वक की जाय,
अधिक अर्थ रखता है। आगे देखें, अध्याय ४ और मेरा निबन्ध, “लिया वालरा” (इक्नोमेट्रिका,
१९३४) |
8. हमारी कृति के प्रारम्मिक ग्रंश तीन लेखों में लिपिवद्त हैं, जो 'जेनरल थिगग्र॑री' को देखने
से पहले लिखे गए थे: एरलाईशगे विश्टउंड-कन्जंक्बर (ज़ाईशिफ्ट फ्यूरे नेशनेल इकोनोमी
९९३३); सजेशन फॉर सिम्पलीफाइंग द थिश्रेरी ऑफ मनी (इकॉर्नॉमिका १९३५१; 'वेज एण्ड
इन्टरेस्ट-द डाइनेमिक प्रॉबलेम' (इकॉनॉमिक जनरल १९३५) |
५. देखिए निम्नांकित विषयों पर मेरे विवाद : बचत और विनियोग का सम्बंध अध्याय
१४ की टिप्पणी), उत्पादन की अवधि ( अ्रध्याय १७ ); अल्प एवं दीघकालीन ऋण (अध्याय
११) अपरिवर्तनीय मजदूरी क्यों महत्वपूर्ण है (अध्याय २९) पूंजी संघयन प्रक्रम (अध्याय २३)
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