क्रान्तिवाद | Krantivad
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
226
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४ ऋतन्तिवाद
होती है । इस कारणा उन लोगों कें मन में यह आशंका उठती है कि
विप्लव से देश में लह॒लुहान होता है, उस समय उत्त जित लोग माले, बरी,
रिवाल्वर या बन्दूक लिये अनेकों व्यक्तियों की हत्या करते हैं, व्यर्थ में
रक्त बहता है, हत्याय का ` बोलबाला होता है, मधुर स्वभाव वांले नर-
नारियों पर अत्याचार होता है, प्रतिष्ठित महिलाओं का अपमान होता है या
श्रनेकों मनुष्यों को बिना अपराध प्राणदण्ड मिलता है 'झादि आदि ।
अ्रमवश कुछ लोग विप्लव शब्द ही से भयभीत होते हँ । उनके हृदय
मे इसकी बात उरते ही हिसा तथा रक्त की गन्ध श्राने लगती है । घरों मे
आग लगाने, बच्चों के अनाथ होने, अकाल पड़ने तथा गृह-युद्र होने की
आशंका उत्पन्न होने लगती हैँ । विध्वंस तथा श्रव्यवस्था की बात उन्हें
आतंकित करती है । सम्भव हं कि किसी देशम वसी दुर्घटनाएँ घटित हुई
हों परन्तु यथार्थ में वेसी बातें विप्लव के लिए आ्रावश्यक नहीं होती हैं ।
वेसी आशंकाओं का कारण यह है कि वे क्रान्ति की श्रसल महत्ता को नहीं
समभते हैं । इससे विप्लव सम्बन्धी निराधार धारणाप्रों को छोड़ उसके
विभिन्न हृष्ट्रोण पर विचार करना चाहिए ।
क्रान्ति का असली महत्व प्रकट करने के बदले वैसी भ्रमात्मक
बातों से उसका विक्ृत रूप मालूम होता है। जेसे भ्रगाध समुद्र में भयंकर
बवण्डर के कारण जल का ऊपरी भाग ऊँची लहरों के रूप में जहाज़ को
भकभोर देता हैँ परन्तु जेसे उससे महासागर की गम्भीरता सदा के लिए
नहीं मिटती वेसे ही समाज रूपी महासागर में क्रान्ति रूपी सामाजिक लहर
उठने पर असाधारण परिस्थिति तो अ्रवश्य उत्पन्न हो जाती है किन्तु देश
'की उन्नति तथा जनता के हित के लिए आवश्यकीय शान्ति शी श्र ही स्थापित
हो जाती है। विप्लव के समय ्ज्ञानता के कारण कभी-कभी वायुमण्डल
दूषित हो सकता हं परन्तु उससे क्रान्ति की ्रावश्यकता न तो कम हो
सकती हं श्रौर न उसकी महत्ता मिट सकती है । उसकी क्षरिक दुबलताएँ
उसकी विशेषता तथा गुणो को नष्ट नहीं कर सकती है |
यदि विप्लव सम्बन्धी वसी भ्रमात्मक धारणां किसी के हृदय मे
जम गई हों तो उन्हें मिटाकर सच्ची बात समभंने- का प्रयत्न करना
User Reviews
No Reviews | Add Yours...