अरस्तु | Arastu

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Arastu by शिवानन्द शर्मा - Shivanand Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बुद्धिवाद अपनी अपूर्णता के कारण यूनान में भौतिकवाद (1৬260021970 उस कार मे पतप न सका । इसका एक कारण यह भी था कि पुराने देववाद का प्रभाव अभी बहुत कम नहीं हो पाया था। फिर, भौतिक जगत का जान इतना अपुर्ण था कि' दा्शनिकों को अपनी गुत्यियों को सुलझाने के लिए वौद्धिफ प्रत्ययों का सह्ठारा' छेना ही पता था। इसी लिए जहाँ दाशनिकों के एच: समूह ने जरू, वायु आदि भौतिक तस्यो कः प्राथमिके अस्तित्व माना, ष्टी दूसरी धारा ने प्राथमिक अस्तित्व को असीम , सत्‌ , (विज्ञान आदि नाम डिये । इस बद्धिवादी परपरा वंग भौतिवाबाद के साथ ही जन्म हणा श । एनेकजिमेंडर थे जिस ममय अमीर्मा को संसार का स्रोत कहा था, रूगभग उसी समय येलीज और एनेस्जिमिनीजं जख आर वायु को परम तत्त्व बता रहे थे । बल्कि, यूनानी दर्गन में शुद्ध भोतिकबाद खोज पाना ही कठिन ह । हेराक्लाइटम' अग्नि से वस्तुओं के आविर्भाव को अथोमां (2 000४० ) सौर अग्नि मे वस्तुओं के तिरोभाव को ऊध्वंमार्ग (७४४ए प० ) कहता है ओर, सत्य ज्ञान में दोनों भार्गों की एकता का समर्थन करता है । निङ्वयं ही, यूनानी भौतिकवादी अपने भौतिक तत्वों को स्थूछ और सूक्ष्म दोनो ক্দা में देख रहे थे। किल्‍्तु वृद्धिवाद को विशेष रूप से पाइथागोरस, पारमताइ- डीज ओर एनेक्जागोरस ने सबछ किया। पाइथागोरस' पाइथागोरस सैमोस वामक द्वीप का रहनेवाला था, किन्तु ई० पुृ० ५३८ में वह दक्षिणी इटछी के क्रोटोना नामक स्थान को चखा गया था और वहा उसते अपने धामिक संप्रदाय की स्थापना की थी ! यहु संप्रदाय गणित ओर संगीत के अध्ययन पर विश्येप बढ देता था। यहाँ तक कि इस सप्रदाय ने मख्याओ को वस्तुभौ का दार ( 555८८८८ ) मान लिया था और आकाश को विश्व-सगीत का मान 9০21 इसम से पहुछ विचार न प्लेटो कर




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