संयुत्त - निकाय पहला भाग | Sanyutt Nikay Part 1

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Sanyutt Nikay Part 1 by जगदीश काश्यप - Jagdish Kashyap

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ७ 9 जिले की मवान तहसील में विद्यमान है। सिहपुर हुएनसाग के समय में तक्षशिल्ा से ११७ मील पूरब स्थित था । अन्य नगरो का कुक पता नही । अल्लकप्प--वैश्ञाल्ली के लिच्छवियों, मिथिका के विदेहो, कपिलवस्तु के शाक्यो, रामग्राम के कोलियों, सुसुमारगिरि के भर्गों और पिप्पलिवन के मोर्यो की भाँति अब्लकप्प के बुलियों का भी अपना स्वतन्त्र राञ्य था, किन्तु बहुत शक्तिशाली न था । यह १० योजन विस्तृत था। इसका सम्बन्ध वेदीप के रजवशसेथा। श्री बील का कथन है कि बेठदीप काद्रोण ब्राह्मण शाहाबाद जिले में मसार से वेशाली जानेवाले मार्ग मे रहता था। अत अब्लकप्प वेठदीप से बहुत दूर न रहा होगा । अटलकप्प के बुलियो को बुद्धधातु का एक अश मिला था, जिसपर उन्होने स्तूप बनवाया था। भद्दिय--भद्ध जनपढ के भहिय नगर में महोपासिका विज्ञाखा का जन्म हुआ था । वेलटवग्राम-- यदह वेशाली मे था । भण्डग्राम--यह वज्जी जनपद में स्थित था । घमेपाल गम--यह काशी जनपद का एक ग्राम था | एकशाला-यह कोशल जनपद म एक बाद्यण ग्राम था । पएकनाला-- यह मगधके दक्षिणागिरि प्रदेश मे एक ब्राह्मण ग्राम था, जहाँ भगवान्‌ ने वास किया था । एरकच्छू--यह दसण्ण राज्य का एक नगर था । ऋषिपतन--यह ऋषिपतन झ्लुगदाय वर्तमान सारनाथ हे, जहाँ भगवान्‌ ने धर्मचक्र प्रवर्तन किया था । गया--गया मे भगवान्‌ बुद्ध ने सूचिलोम यक्ष के प्रइनों का उत्तर दिया था। प्राचीन गया वतंमान साहबगज माना जाता है। यहाँ से ६ मील दक्षिण बुद्धगया स्थित है। गयातीर्थ बुद्धकाल में सस्‍्नानतीर्थ के रूप में प्रसिद्ध था और यहाँ बहुत से जटिल रहा करते थे । हस्तिग्राम--यह वञ्जी जनपद्‌ का एक यामथा । भगवान्‌ बुद्ध वशाखी से कुशीनगर जाते हुए हस्तिग्राम से होकर गुजरे थे। वर्तमान समय में यह बिहार प्रान्त के हथुवा से «८ मीछ पश्चिम शिवपुर कोठी के पास अवस्थित है । आजकल उसके नष्टावशेंप को हाथीखाल कहा जाता है । हस्तिभ्राम का उग्गत गृहपति सघसेवकों में सबसे बढकर था, जिसे बुद्ध ने अग्न की उपाधि दी थी । हलिदृवसन--यह कोछिय जनपद का एक माम था। वहो भगवान्‌ बुद्ध गये थे। कोछिय जनपद की राजधानी रामआस थी और यह जनपद शाक्य जनपद के पूर्व तथा महल जनपद के पश्चिस दोनों के मध्य स्थित था । हिमवन्त प्रदेश--फोशलरू, शाक्य, कोलिय, मढ्छ ओर वज्जी जनपदो के उत्तर में फैली पहाड़ी ही हिमवन्त प्रदेश कहलाती है। इसमें नेपार के साथ हिमालय प्रदेश के सभी दक्षिणी प्रदेश सम्मिलित है । इच्छानइल--कोशल जनपद में यह एक ब्राह्मण (आम था। भगवान्‌ ने इच्छानगक वनसण्ड मे चास किया था | जन्तुभ्राम--चाकिका प्रदेश के चाछिका पव॑त के पास जन्तुग्राम था। भगवान्‌ के चालिका पव॑त पर धिष्ठार करते समय मेधिय स्थविर जन्तुभ्राम मे भिक्षाटन करने गये थे ओर उसके बाद्‌ किमिकाल नदी के तीर जाकर विहार किया था । कलवालगामक--यह मगध मे एक झस था। यही पर मोहत्यायन स्थविर को अहत्व की प्राप्ति हुईं थी ।




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