सम एस्पेक्ट्स ऑफ़ द आर्ट ऑफ़ वॉर इन एन्सीएन्ट इंडिया | Some Aspects Of The Art Of War In Ancient India

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Some Aspects Of The Art Of War In Ancient India by दिनेश कुमार केसरवानी - Dinesh Kumar Kesarvani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मध्याय + प्न्य হাল पराचान भारतीय पन्थ में शाह्य ऊ লাল अर्णो प्र श्नं एक महत्वपुणें जग प्नेना उ गाना गया | प्रौर्मकास में শালি नै षः प्रकार के क्री हसलेनाओड का প্রজা अर्थशास्त्र में किया है 1 - १ मोल-बल- ९ सेना? स्विस्त व पमल स्यान कौ रक्षा हत थीं । 2 . प्रतक- बल- झर्नेतनिक श | णी सन्त मम्ल शस्य निष्ण त मन्यं कार्यों से লাল थी। पिन्वस भिन्न হালা की দলা थीं | ममिन-बअल-शनज्ञ॒ জ্াতা प्राप्त सेना र्थी | प्र श्रत्न- पाटविक पना थ | अर्धशास्ज নী আজিম লী उपर्युक्त छः बलों के मतिारिक्त आऑत्ताहिक बल नामक एक লাল प्रकाश की सेना का वर्णन किया है। জীল্লাহিল আল ল तात्पर्य नेतृत्व विज्ञीन, वन्न तन्न बेशों में हहने वाली शाला की स्वीकृत या मन्वीत पै ही दस्र अणौ प्ण सुह মাত জল वाली টানা চী हैं। कीटिस्य ने প্রি টন জি ই प्रेय और সীল |. मद्य सेना रा - मद्य पै त्ात्पर्वं बैनिक प्रत्ता या ग्राप्तिक वैतन स्वकर पन्न के बैश में लटपाटद करने वाली, হালা की. सामथिक मालाम का प्रासन क्न वानीं तथा वर्गीं व मं का करने वाली सना प्रं &। | মী চীনা পা রা प्राय ही वेश, व्यवश्ताय व लाति की होती শী পু न त £ । इस सेना का किसी চা দলীল मानि से फोड़ा नहीं न्ना स्नक्ता धा। मतः पष्ठी झीेना हाँ उपगुक्त सझ्म्रय के . लिए इखना चाहिएडे विध्िन्त प्रकार की सेनाओं का उल्लेख | महामारत पै श्री मिलता , ^. 3. अर्थशास्त्र कौगले हारा संपाबित. লাগ 4. ১৪১8 জীক লা. | রি ~ 2. | मर्थं शास्त ब्रेकोगले ज्वारा प्म्पाबित॥ प्राग ` 9.2.41 ओर मै ০৯৪ ক वाशिकपर्व 7.7.8 ४




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