सम एस्पेक्ट्स ऑफ़ द आर्ट ऑफ़ वॉर इन एन्सीएन्ट इंडिया | Some Aspects Of The Art Of War In Ancient India
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
25 MB
कुल पष्ठ :
292
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मध्याय +
प्न्य হাল
पराचान भारतीय पन्थ में शाह्य ऊ লাল अर्णो प्र श्नं
एक महत्वपुणें जग प्नेना उ गाना गया | प्रौर्मकास में
শালি नै षः प्रकार के क्री हसलेनाओड का প্রজা
अर्थशास्त्र में किया है 1 -
१ मोल-बल- ९ सेना? स्विस्त व पमल स्यान कौ
रक्षा हत थीं ।
2 . प्रतक- बल- झर्नेतनिक श |
णी सन्त मम्ल शस्य निष्ण त मन्यं
कार्यों से লাল थी।
पिन्वस भिन्न হালা की দলা थीं |
ममिन-बअल-शनज्ञ॒ জ্াতা प्राप्त सेना र्थी |
प्र श्रत्न- पाटविक पना थ |
अर्धशास्ज নী আজিম লী उपर्युक्त छः बलों के
मतिारिक्त आऑत्ताहिक बल नामक एक লাল प्रकाश की
सेना का वर्णन किया है। জীল্লাহিল আল ল तात्पर्य नेतृत्व
विज्ञीन, वन्न तन्न बेशों में हहने वाली शाला की स्वीकृत
या मन्वीत पै ही दस्र अणौ प्ण सुह মাত জল वाली
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সীল |.
मद्य सेना रा -
मद्य पै त्ात्पर्वं बैनिक प्रत्ता या ग्राप्तिक वैतन
स्वकर पन्न के बैश में लटपाटद करने वाली, হালা की.
सामथिक मालाम का प्रासन क्न वानीं तथा वर्गीं व मं का
करने वाली सना प्रं &। |
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प्राय ही वेश, व्यवश्ताय व लाति की होती
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£ । इस सेना का किसी চা দলীল मानि से फोड़ा नहीं
न्ना स्नक्ता धा। मतः पष्ठी झीेना हाँ उपगुक्त सझ्म्रय के
. लिए इखना चाहिएडे विध्िन्त प्रकार की सेनाओं का उल्लेख |
महामारत पै श्री मिलता , ^.
3. अर्थशास्त्र कौगले हारा संपाबित. লাগ 4.
১৪১8 জীক লা. | রি
~ 2. | मर्थं शास्त ब्रेकोगले ज्वारा प्म्पाबित॥ प्राग
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